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केंद्र से राजस्थान ने मांगी टैक्स में 50% हिस्सेदारी 

राजस्थान में 16वें वित्त आयोग से पहले राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से टैक्स में 50 फीसदी हिस्सेदारी की मांग की है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि फिलहाल राज्यों को केंद्र से टैक्स में सिर्फ 41 फीसदी हिस्सा मिलता है. आने वाले दिनों में इसे 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए.........
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जयपुर न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान में 16वें वित्त आयोग से पहले राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से टैक्स में 50 फीसदी हिस्सेदारी की मांग की है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि फिलहाल राज्यों को केंद्र से टैक्स में सिर्फ 41 फीसदी हिस्सा मिलता है. आने वाले दिनों में इसे 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए। वहीं, आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार निजी लाभ के लिए नकदी योजना चला रही है. इससे निश्चित तौर पर राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है.

इसके साथ ही सरकार ने आज राज्य की भौगोलिक, क्षेत्रफल और विशेष परिस्थितियों को देखते हुए राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानकों में बदलाव की मांग की. दरअसल, गुरुवार को वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगड़िया समेत आयोग के सदस्यों ने राज्य सरकार के साथ बैठक की. बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा समेत कैबिनेट के अन्य सदस्य और अधिकारी मौजूद रहे.

बता दें कि देश में 16वें वित्त आयोग के गठन के बाद आयोग राज्यों का दौरा कर वहां की सरकारों से बातचीत कर राज्यों की वित्तीय स्थिति का आकलन कर रहा है. आयोग सभी राज्यों और केंद्र सरकार से परामर्श के बाद अपनी सिफारिश देगा. इसी आधार पर देश भविष्य में केंद्र और राज्यों के बीच करों का हिस्सा तय करेगा।

सरकार ने राज्य की विशेष परिस्थितियों के बारे में बताया

बैठक में आयोग के समक्ष प्रेजेंटेशन देते हुए बताया गया कि राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है. राज्य का दो-तिहाई भाग रेगिस्तान है। देश की 21 प्रतिशत बंजर भूमि राजस्थान में है। यहां करीब 1071 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है. राज्य में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च करना पड़ता है। राजस्थान की 75 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है। वहीं, एससी-एसटी की आबादी भी यहां 21 फीसदी है. राज्य में पानी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में राजस्थान की इन विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग से मांग की है कि राज्यों में करों की हिस्सेदारी में राजस्थान के मानकों में भी बदलाव किया जाए.

कैश स्कीम से राजकोषीय घाटा बढ़ा

सरकार से बातचीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने कहा- राज्य और केंद्र सरकार निजी फायदे के लिए कैश स्कीम चला रही हैं. इससे निश्चित तौर पर राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि निजी लाभ के लिए ऐसी योजनाएं राज्य और केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति पर गहरा प्रभाव डालती हैं. आयोग को यह भी देखना होगा कि देश में वित्तीय स्थिरता बनी रहे। इसलिए हम ऐसी योजनाओं के प्रभाव पर भी विचार करेंगे। उन्होंने कहा- हम इसे अपनी सिफारिशों में शामिल करेंगे या नहीं. ये अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन यह तय है कि वित्त आयोग ऐसी योजनाओं के असर का आकलन करेगा.

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