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राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन विवाद में कूदी सियासत, वीडियो में देखें अशोक गहलोत ने बताया ‘भयावह हालात’

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन विवाद में कूदी सियासत, वीडियो में देखें अशोक गहलोत ने बताया ‘भयावह हालात’

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में जारी सियासी घमासान अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। इस बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर खुलकर बयान दिया है। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने RCA में चल रही अंदरूनी खींचतान को "निषारजनक और चिंताजनक" करार दिया।

गहलोत ने अपने बेटे और RCA के पूर्व अध्यक्ष वैभव गहलोत के कार्यकाल को लेकर सकारात्मक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वैभव के नेतृत्व में क्रिकेट संघ ने कई नए कदम उठाए थे, जिससे राज्य में क्रिकेट के विकास को गति मिली। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वैभव के कार्यकाल में पारदर्शिता, खिलाड़ियों की प्रतिभा को बढ़ावा देने और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।

“फिलहाल हालात भयावह” — अशोक गहलोत

हालांकि, अशोक गहलोत ने मौजूदा हालात पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि,

"फिलहाल RCA की स्थिति भयावह बन चुकी है। जिस तरह से विवाद और आपसी टकराव सामने आ रहे हैं, वह क्रिकेट जैसे खेल के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।"

उन्होंने संकेत दिए कि एसोसिएशन अब राजनीति और गुटबाजी का अखाड़ा बनता जा रहा है, जिससे खिलाड़ियों का नुकसान हो रहा है।

वैभव गहलोत बनाम अन्य गुट

गौरतलब है कि RCA में लंबे समय से दो गुटों के बीच खींचतान जारी है—एक ओर वैभव गहलोत समर्थक हैं, तो दूसरी ओर कुछ पुराने पदाधिकारी और विरोधी खेमे के लोग संगठन पर दबदबा बनाए रखने की कोशिश में लगे हुए हैं।

हाल ही में कोटा जिला क्रिकेट एसोसिएशन के चुनावों को लेकर भी हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई देखने को मिली थी। चुनावों पर लगी रोक हटने के बाद RCA में हलचल और तेज हो गई है।

राजनीति की बढ़ती दखलअंदाजी

क्रिकेट प्रशासन में नेताओं की बढ़ती सक्रियता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। अब अशोक गहलोत की सीधी एंट्री से साफ है कि RCA का मुद्दा महज खेल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक प्रभाव और वर्चस्व की लड़ाई का मैदान बन चुका है।

खिलाड़ी और प्रशंसक हो रहे प्रभावित

इस पूरे घटनाक्रम का सबसे बड़ा नुकसान राज्य के उभरते हुए क्रिकेटरों और खेल प्रेमियों को हो रहा है। RCA में स्थायित्व की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते क्रिकेट विकास की योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।

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