राजस्थान के कांग्रेस नेता का पूर्व निजी सहायक निकला पाकिस्तानी जासूस, वीडियो मेें जानें यूट्यूबर ज्योति के संपर्क में था

राजस्थान इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के गंभीर आरोप में एक सरकारी कर्मचारी शकूर खान को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि शकूर को इंटेलिजेंस और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों ने करीब 5 दिन पहले डिटेन किया था। पूछताछ और जांच के बाद सोमवार देर रात उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया।
शकूर खान की गिरफ्तारी ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि वह साल 2008 में राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सालेह मोहम्मद के निजी सहायक के तौर पर कार्य कर चुका है।
जांच में मिले संदिग्ध संपर्क
सूत्रों के मुताबिक, शकूर खान पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े एजेंटों को संवेदनशील सूचनाएं साझा करने का आरोप है। इंटेलिजेंस को शक है कि उसने भारत की सुरक्षा से जुड़ी अहम जानकारियां सीमापार भेजी हैं। शकूर की कॉल डिटेल्स, सोशल मीडिया गतिविधियां और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच में कई संदिग्ध लिंक सामने आए हैं।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि शकूर खान सरकारी दस्तावेजों और सूचनाओं तक पहुंच रखता था, जिनका वह कथित रूप से दुरुपयोग कर रहा था। अधिकारी यह भी पता लगाने में जुटे हैं कि वह अकेले काम कर रहा था या उसके साथ कोई नेटवर्क भी सक्रिय है।
पूर्व मंत्री ने दी सफाई
शकूर खान के पुराने राजनीतिक संपर्कों के चलते मामला और भी संवेदनशील हो गया है। कांग्रेस नेता सालेह मोहम्मद ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि शकूर ने काफी पहले उनके साथ सहायक के रूप में काम किया था, लेकिन पिछले कई वर्षों से उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए और दोष सिद्ध होने पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
एजेंसियों की निगरानी में था शकूर
बताया जा रहा है कि शकूर खान पिछले कुछ समय से इंटेलिजेंस की रडार पर था। संदिग्ध गतिविधियों के चलते उसे ट्रैक किया जा रहा था और उसकी डिजिटल गतिविधियों पर भी बारीकी से नजर रखी जा रही थी। एक एजेंसी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि गिरफ्तारी से पहले पर्याप्त डिजिटल और तकनीकी सबूत जुटा लिए गए थे।
देशद्रोह का केस दर्ज, पूछताछ जारी
शकूर खान पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है और कोर्ट से रिमांड लेकर गहन पूछताछ की जा रही है। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस जासूसी नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हो सकता है।
यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि दुश्मन देश की एजेंसियां किस तरह भारतीय नागरिकों को अपने जाल में फंसा रही हैं। साथ ही यह भी ज़रूरी हो गया है कि सरकारी विभागों में संवेदनशील पदों पर नियुक्त कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाए।