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राजस्थान में पंचायती राज और नगर निकायों का कार्यकाल पूरा, वीडियो में जानें राज्य निर्वाचन आयोग को पता नहीं कब होंगे पंचायत निकाय चुनाव

राजस्थान में पंचायती राज और नगर निकायों का कार्यकाल पूरा, वीडियो में जानें राज्य निर्वाचन आयोग को पता नहीं कब होंगे पंचायत निकाय चुनाव

राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के लोकतांत्रिक संचालन को लेकर गंभीर स्थिति बनती जा रही है। प्रदेश की साढ़े 6 हजार से ज्यादा पंचायती राज संस्थाओं और 50 से अधिक नगर निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक इनके चुनाव की कोई स्पष्ट समय-सीमा तय नहीं हो सकी है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि राज्य निर्वाचन आयोग के पास इन चुनावों को लेकर अभी तक कोई प्रस्ताव भी लंबित नहीं है, जिससे स्पष्ट होता है कि निकट भविष्य में भी चुनाव कराना मुश्किल हो सकता है।

कार्यकाल पूरा, चुनाव की तैयारी नहीं

राज्य में पंचायत समिति, जिला परिषद और ग्राम पंचायत स्तर की 6,500 से अधिक पंचायती राज संस्थाएं हैं, जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसी प्रकार 50 से ज्यादा नगर निकायों—जिनमें नगरपालिका और नगर परिषद शामिल हैं—का भी कार्यकाल समाप्त हो गया है। नियमों के अनुसार, कार्यकाल समाप्ति के बाद नियत समय में चुनाव कराना अनिवार्य होता है, लेकिन इस बार चुनाव प्रक्रिया में देरी देखी जा रही है।

निर्वाचन आयोग के पास नहीं आया कोई प्रस्ताव

राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से अब तक चुनाव कराए जाने को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव आयोग को नहीं भेजा गया है। ऐसे में आयोग तैयारी कैसे करे? आयोग का कहना है कि वह पूरी तरह तैयार है, लेकिन जब तक राज्य सरकार से प्रस्ताव और अधिसूचना नहीं आती, तब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती।

लोकतंत्र की नींव पर सवाल

स्थानीय निकाय लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करते हैं, लेकिन समय पर चुनाव न होने से न केवल प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इन संस्थाओं की जगह फिलहाल प्रशासक नियुक्त किए जा रहे हैं, जो सीमित अधिकारों के साथ कार्य कर रहे हैं। इससे न तो विकास कार्यों की रफ्तार बन पा रही है, और न ही जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो पा रही है।

संभावित कारण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में हाल ही में सरकार बदली है और नई सरकार प्रशासनिक पुनर्गठन और अन्य प्राथमिकताओं में व्यस्त है। इसके अलावा परिसीमन, आरक्षण निर्धारण, मतदाता सूची अपडेट जैसे कई तकनीकी कारण भी इस देरी के पीछे हो सकते हैं। लेकिन चुनाव की प्रक्रिया में अनिश्चितता से ग्रामीण और शहरी विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

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