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राजस्थान हाउसिंग बोर्ड पर उठे सवाल, वीडियो में जानें एलीट अफसरों को राहत, गरीबों की अनदेखी, IAS-IPS को सस्ता फ्लैट 

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड पर उठे सवाल, वीडियो में जानें एलीट अफसरों को राहत, गरीबों की अनदेखी, IAS-IPS को सस्ता फ्लैट 

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड (RHB) की स्थापना का मूल उद्देश्य राज्य के निम्न, अल्प और मध्यम आय वर्ग के लोगों को किफायती दरों पर आवास उपलब्ध कराना था। लेकिन हालिया घटनाक्रम ने बोर्ड की कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि हाउसिंग बोर्ड अब अपने मूल उद्देश्य से भटककर आईएएस, आईपीएस और ऑल इंडिया सर्विस से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के लिए बनाए जा रहे लग्जरी फ्लैट्स की लागत कम करने के लिए विशेष रियायतें दे रहा है, जबकि गरीब और जरूरतमंद वर्ग को ऐसी कोई छूट नहीं दी जा रही।

शुक्रवार को राजस्थान हाउसिंग बोर्ड में आयोजित बोर्ड बैठक में ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा गया, जिसने पूरे सिस्टम पर बहस छेड़ दी है। इस प्रस्ताव के तहत ऑल इंडिया सर्विस से जुड़े अधिकारियों के लिए प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेशन) फीस को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका सीधा लाभ इन अधिकारियों को मिलने वाले महंगे और लग्जरी फ्लैट्स की कुल लागत में कमी के रूप में मिलेगा।

जानकारों का कहना है कि यह छूट किसी भी अन्य वर्ग के आवंटियों को अब तक न तो बोर्ड प्रशासन ने दी है और न ही राज्य सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल की गई है। खास बात यह है कि जिन वर्गों के लिए हाउसिंग बोर्ड की स्थापना की गई थी—जैसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG) और मध्यम आय वर्ग (MIG)—उन्हें लगातार बढ़ती कीमतों और अतिरिक्त शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है।

आलोचकों का आरोप है कि हाउसिंग बोर्ड गरीब वर्ग के लिए आवास योजनाओं में न तो प्रशासनिक शुल्क कम कर रहा है और न ही अन्य तरह की राहत दे रहा है। उल्टा, निर्माण लागत और अन्य चार्ज के नाम पर इन वर्गों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, पहले से ही ऊंचे वेतन और सुविधाएं प्राप्त करने वाले एलीट क्लास अधिकारियों को विशेष रियायतें देकर बोर्ड अपने दोहरे मापदंडों को उजागर कर रहा है।

सामाजिक संगठनों और आवास अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के फैसले हाउसिंग बोर्ड की सामाजिक जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करते हैं। उनका मानना है कि अगर प्रशासनिक फीस में कटौती करनी ही थी, तो इसका लाभ पहले गरीब और मध्यम वर्ग को दिया जाना चाहिए था, जो वर्षों से अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।

वहीं, बोर्ड से जुड़े कुछ अधिकारियों का तर्क है कि ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के लिए विशेष प्रोजेक्ट्स अलग प्रकृति के होते हैं और उनमें प्रशासनिक प्रक्रियाएं भी अलग होती हैं। हालांकि इस दलील से असंतोष खत्म नहीं हो रहा, क्योंकि अब तक किसी भी वर्ग के लिए ऐसी फीस में कटौती का उदाहरण सामने नहीं आया है।

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