विलुप्त सरस्वती नदी को फिर से जीवित करने की तैयारी, ISRO-डेनमार्क की मदद से राजस्थान-हरियाणा रचेंगे इतिहास

विलुप्त हो रही सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग का पता लगाकर उसे पुनर्जीवित करने के काम में तेजी लाई जाएगी। इसके लिए अब राजस्थान और हरियाणा मिलकर काम करेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और डेनमार्क सरकार की विशेषज्ञ टीम के जरिए नदी के वास्तविक प्रवाह क्षेत्र का चैनल तैयार किया जाएगा।
बैठक में यह निर्णय लिया गया
प्रवाह क्षेत्र को अधिसूचित कर वहां अतिक्रमण या अन्य बाधाएं हटाई जाएंगी। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (सीएजेडआरआई) जोधपुर और आईआईटी बीएचयू ने भी इस परियोजना को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसे लेकर सोमवार को जयपुर के बिड़ला विज्ञान अनुसंधान संस्थान में हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड की बैठक हुई। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत और बोर्ड उपाध्यक्ष धूमन सिंह के बीच लंबी चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि राजस्थान एक सामाजिक प्रकोष्ठ बनाएगा, ताकि इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जा सके।
डेनमार्क के साथ एमओयू
निवेश शिखर सम्मेलन में जल संसाधन विभाग और डेनमार्क दूतावास के बीच एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। डेनमार्क सरस्वती पैलियोचैनल के पुनरुद्धार पर सहयोग करेगा। दूतावास ने केंद्रीय और राज्य भूजल विभाग को इसमें शामिल करने को कहा है।
इसके अलावा पुष्कर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़ होते हुए कच्छ के रण की ओर बढ़ते हुए
राजस्थान में पुष्कर झील, गुजरात में सिद्धपुर, सरस्वती के पैलियो चैनल पर एक बड़ा क्षेत्र आता है। यह नदी हरियाणा से हनुमानगढ़, अनूपगढ़, जैसलमेर होते हुए कच्छ के रण में मिलती थी।
हरियाणा ने अच्छा काम किया
1- सरस्वती नदी हिमालय से निकलती है। हरियाणा में इसका उद्गम आदिबद्री माना जाता है। यहां हरियाणा ने अच्छा काम किया है। जहां भी जमीन के अंदर पानी मिला, उसे बोरवेल और तालाबों के जरिए संरक्षित किया गया।
2- पिछले साल राजस्थान के जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ कस्बे में बोरवेल खुदाई के दौरान अचानक पानी की धारा फूट पड़ी थी। इसे सरस्वती नदी से जोड़ा जा रहा है। हरियाणा में भी ऐसी ही स्थिति बनी। वहां तालाब बनाया गया।
दोनों राज्यों के लिए जीवनदायिनी होगी
सरस्वती नदी हरियाणा और राजस्थान के लिए जीवनदायिनी साबित होगी। इसलिए अब दोनों राज्य मिलकर काम करेंगे ताकि नदी के वास्तविक प्रवाह क्षेत्र का पता लगाकर उसे पुनर्जीवित किया जा सके। राजस्थान में सरस्वती नदी के वास्तविक प्रवाह क्षेत्र का पता लगाने के लिए इसरो के साथ ही डेनमार्क के विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी।