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अमित शाह के जयपुर दौरे से गरमाई सियासत, गहलोत ने कन्हैयालाल का उठाया मुद्दा, सुरेंद्र व्यास की किताब से सचिन पायलट को लेकर नया विवाद

अमित शाह के जयपुर दौरे से गरमाई सियासत, गहलोत ने कन्हैयालाल का उठाया मुद्दा, सुरेंद्र व्यास की किताब से सचिन पायलट को लेकर नया विवाद

राजस्थान की राजनीति इन दिनों केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे और इसके बाद उपजे बयानों से गरमा गई है। शाह गुरुवार को जयपुर पहुंचे और खराब मौसम के कारण सड़क मार्ग से दादिया गांव में आयोजित सहकार एवं रोजगार उत्सव में शिरकत की। इस कार्यक्रम में उन्होंने राज्य सरकार की सहकारी योजनाओं की सराहना की और युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे।

शाह का सियासी संदेश और मंच की राजनीति

दादिया के कार्यक्रम में मंच की सीटिंग व्यवस्था ने भी राजनीतिक संकेत दिए। मंच पर अमित शाह के एक ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जगह दी गई। यह राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे भाजपा के भीतर संभावित समीकरणों के संदेश को बल मिला।

शाह ने अपने संबोधन में राजस्थान की विभूतियों पन्नाधाय और भामाशाह को प्रणाम करते हुए सहकारिता को आने वाले 100 वर्षों के भारत की रीढ़ बताया। उन्होंने बताया कि देशभर में 8.5 लाख को-ऑपरेटिव के माध्यम से 31 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं और 99% ग्रामीण क्षेत्र में सहकारिता सक्रिय है।

अशोक गहलोत का तीखा हमला

इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शाह के दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “जब अमित शाह आ रहे हैं, तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि कन्हैयालाल के परिवार को न्याय कब मिलेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उस जघन्य हत्याकांड के बाद जो चुप्पी रही, वह आज भी सवालों के घेरे में है।

गहलोत ने मुख्यमंत्री बदलने को लेकर दिए अपने पुराने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि, “मैंने सिर्फ सुना था कि बीजेपी 2-4 राज्यों में मुख्यमंत्री बदल सकती है, इस पर मैंने कैजुअल टिप्पणी की थी। कोई षड्यंत्र नहीं किया।”

सुरेंद्र व्यास की किताब से उभरा नया विवाद

राजस्थान की राजनीति में एक और नया विवाद पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास की किताब ‘एक विफल राजनीतिक यात्रा’ से पैदा हो गया है। उन्होंने किताब में दावा किया है कि अगर सचिन पायलट 2028 में टोंक से चुनाव लड़ते हैं तो उनकी हार तय है। व्यास ने पायलट पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टोंक से आगे नहीं आने देने का आरोप भी लगाया है ताकि वे अपने गुर्जर वोट बैंक को सुरक्षित रख सकें।

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