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जातिगत जनगणना को लेकर पायलट ने भाजपा पर साधा निशाना, वीडियो में जानें बोले - “जातीय जनगणना को लेकर नीयत में खोट नजर आ रही है”

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कांग्रेस महासचिव और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने केंद्र सरकार को एक बार फिर निशाने पर लिया है। इस बार मुद्दा है — जातीय जनगणना। पायलट ने कहा कि जनगणना की अधिसूचना में जातिगत गणना का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है।

🗣️ पायलट ने जताया अविश्वास

जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए सचिन पायलट ने कहा —

“केंद्र सरकार ने जनगणना की प्रक्रिया को लेकर अधिसूचना तो जारी कर दी है, लेकिन उसमें जातिगत आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे यह साफ है कि सरकार की नीयत में खोट है।”

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व के लिए बेहद जरूरी है। इसके बिना देश में नीतियां बनाना केवल अनुमान आधारित होगा, जो हाशिए पर खड़े वर्गों के साथ अन्याय है।

क्या है मामला?

हाल ही में केंद्र सरकार ने जनगणना 2025 के लिए अधिसूचना जारी की, जिसमें जनसंख्या गणना की प्रक्रिया और रूपरेखा तय की गई है। लेकिन अधिसूचना में जातिगत जनगणना का कोई उल्लेख नहीं है, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

 विपक्ष का एकजुट रुख

पायलट पहले भी जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल — जैसे आरजेडी, सपा और जेडीयू — इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों की वास्तविक स्थिति के आंकड़े सामने लाए जाएं।

क्यों जरूरी है जातीय जनगणना?

  • नीतियों और योजनाओं का समान वितरण

  • शैक्षणिक और सामाजिक प्रतिनिधित्व की समीक्षा

  • आरक्षण नीति में पारदर्शिता

  • सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण का सटीक आधार

पायलट का बढ़ता रुख

सचिन पायलट का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राजस्थान सहित कई राज्यों में पंचायतीराज और निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है। ऐसे में ओबीसी और पिछड़े वर्गों के मुद्दे राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।

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