राजस्थान में नहीं रहेगा कोई भी घुसपैठिया, वीडियो में देखें सीएम बोले - हम देश से घुसपैठियों को चुन-चुनकर निकालेंगे
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को सीतापुरा स्थित पूर्णिमा कॉलेज में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) जयपुर प्रांत के 61वें अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में घुसपैठियों और नागरिकता कानून को लेकर तीखे बयान दिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कोई भी घुसपैठिया किसी भी कीमत पर नहीं रहेगा।
सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि पहले सरकार ने हिंदू विस्थापितों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू किया था, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया। अब जब राज्य सरकार घुसपैठियों को पहचान कर निकाल रही है, तो इस पर भी SIR (संविधान या संबंधित निकाय) की आलोचना हो रही है।
भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हवाले से कहा कि देश से घुसपैठियों को चुनींदा तरीके से निकाला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह गए हमारे हिंदू और सिख भाइयों की बड़ी संख्या थी, जिन्हें वापस लाने की कोशिश हुई। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब हिंदू विस्थापितों को नागरिकता देने के लिए कानून लाया गया, तब कांग्रेस ने विरोध किया।
सीएम ने कहा कि यह सवाल केवल कानून का नहीं, बल्कि देश और राज्य की सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्थान सरकार किसी भी हाल में घुसपैठियों को राज्य में टिकने की अनुमति नहीं देगी।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह कदम न केवल राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि नागरिकों को उनकी सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने का भी प्रयास है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में घुसपैठियों और नागरिकता कानून को लेकर राजनीतिक बहस तेज है।
कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थी और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीति साफ और स्पष्ट है, और किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस दौरान सीएम ने छात्रों से अपील की कि वे देशहित में सक्रिय रहें और संविधान एवं कानून का सम्मान करें। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में कानून और व्यवस्था बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है और किसी भी कीमत पर राज्य की सुरक्षा को खतरा नहीं होने दिया जाएगा।
इस घटना ने प्रदेश में घुसपैठियों और नागरिकता कानून को लेकर चर्चा को और तेज कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट बयान से प्रदेश में कानून व्यवस्था के प्रति संदेश गया है और राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर बहस जारी रहने की संभावना है।

