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थप्पड़कांड में नरेश मीणा को मिली जमानत, वीडियो में जानें एसडीएम को मारा था थप्पड़

https://youtu.be/k0azCp28u3Q

विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में आरोपी नरेश मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल उपमन की एकलपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान नरेश मीणा की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी कर दिए।

यह मामला बीते कुछ सप्ताहों से राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में काफी चर्चा में रहा है। घटना उस समय की है जब राज्य में विधानसभा उपचुनाव की प्रक्रिया चल रही थी। चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम (उपखंड अधिकारी) और नरेश मीणा के बीच किसी बात को लेकर तीखी बहस हो गई थी, जो बाद में हिंसा में तब्दील हो गई। आरोप है कि बहस के दौरान नरेश मीणा ने एसडीएम को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मार दिया था। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिससे मामला और तूल पकड़ गया था।

घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने गंभीर रुख अपनाते हुए नरेश मीणा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद नरेश मीणा ने ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दायर की, लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली। अंततः उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट में पेश नरेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके वकील ने दलील दी कि मामला राजनीतिक विरोध और चुनावी तनाव की पृष्ठभूमि में खड़ा हुआ है। उन्होंने अदालत को बताया कि नरेश मीणा का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें फंसाया जा रहा है। वहीं, अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि यह एक गंभीर मामला है क्योंकि यह एक सरकारी अधिकारी पर हमले से जुड़ा है और इससे कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है।

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस अनिल उपमन ने मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नरेश मीणा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि नरेश मीणा जांच में पूरा सहयोग करें और कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कानून व्यवस्था प्रभावित हो।

राजनीतिक हलकों में इस मामले को लेकर दो राय बनी हुई हैं। एक पक्ष इसे प्रशासनिक अधिकारों की अनदेखी मानता है, जबकि दूसरा पक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बता रहा है। इस बीच नरेश मीणा के समर्थकों में कोर्ट के फैसले से खुशी की लहर है और उन्होंने इसे "सच्चाई की जीत" करार दिया है।

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