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जिसकी गवाही पर महेश जोशी गिरफ्तार उसकी वीडियोग्राफी नहीं करवाई, वीडियो में जानें वकील ने ईडी की जांच पर उठाए सवाल

जिसकी गवाही पर महेश जोशी गिरफ्तार उसकी वीडियोग्राफी नहीं करवाई, वीडियो में जानें वकील ने ईडी की जांच पर उठाए सवाल

गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामलों की विशेष अदालत में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत याचिका पर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान महेश जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने ईडी की जांच प्रक्रिया पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने ईडी द्वारा की गई कार्रवाई में गवाहों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने सहित कई अन्य तथ्यों को अदालत के समक्ष रखा, जिन्हें उन्होंने जांच में 'गंभीर खामी' करार दिया।

बाजवा ने दलील दी कि ईडी ने जिन गवाहों के बयान लिए, उनकी कोई वीडियोग्राफी नहीं की गई। जबकि ऐसे मामलों में यह एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गवाह पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला गया हो। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि जांच एजेंसी की यह लापरवाही अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन करती है और इससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

इसके अलावा, वकील बाजवा ने यह भी तर्क रखा कि ईडी ने अब तक जो दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं कि महेश जोशी को इस स्तर पर हिरासत में रखा जाए। उन्होंने कहा कि पूरा मामला राजनीतिक द्वेष से प्रेरित प्रतीत होता है, जिसमें विपक्षी नेता को निशाना बनाया जा रहा है। बाजवा ने अदालत से अपील की कि चूंकि उनके मुवक्किल ने जांच में पूरा सहयोग किया है और सभी सम्मनों का समय पर जवाब दिया है, इसलिए उन्हें नियमित जमानत दी जाए।

सुनवाई के दौरान ईडी के पक्ष ने अभी तक अपनी प्रतिक्रिया पूरी तरह से प्रस्तुत नहीं की है। एजेंसी की ओर से कहा गया कि मामले में कई स्तरों पर जांच जारी है और कुछ साक्ष्य अभी एकत्र किए जाने बाकी हैं। ईडी ने यह भी संकेत दिया कि कुछ गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया अभी लंबित है।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में अगली सुनवाई की तारीख आगामी सप्ताह के लिए तय की है। तब तक के लिए महेश जोशी की अंतरिम जमानत यथावत रहेगी।

महेश जोशी, जो राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, पर कथित रूप से आर्थिक अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों में ईडी ने कार्रवाई शुरू की है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने शुरू से ही इस जांच को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताया है और सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

अब सबकी नजर अगली सुनवाई पर टिकी है, जहां अदालत यह तय करेगी कि महेश जोशी को नियमित जमानत मिलती है या नहीं। फिलहाल इस मामले ने प्रदेश की राजनीति में हलचल जरूर मचा दी है।

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