कोरोना में हजारों जानें बचाने वाले ऑक्सीजन प्लांट पर लटके ताले, वीडियो में जानें SMS अस्पताल में 11 में से सिर्फ 2 चालू

कोविड महामारी के दौरान जिन ऑक्सीजन प्लांट्स को जीवन रेखा माना गया था, वे अब उपेक्षा और लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में 11 में से सिर्फ 2 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट ही चालू हैं, जबकि बाकी 9 प्लांट्स पर ताले लटके हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि करोड़ों रुपए की लागत से बने ये प्लांट्स अब खामोश खड़े हैं, जिन पर जंग लग चुकी है और कई जगह कचरा जमा है।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटकना पड़ा था, तब सरकार और दानदाताओं की मदद से अस्पतालों में बड़ी संख्या में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाए गए थे। अकेले SMS अस्पताल में केंद्र सरकार, CSR फंड और निजी संस्थाओं की मदद से कुल 11 प्लांट्स लगाए गए थे, जिनकी क्षमता हजारों लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनाने की थी। लेकिन आज इनमें से 9 प्लांट्स बंद पड़े हैं।
भास्कर की टीम जब अस्पताल परिसर में पहुंची, तो देखा कि कई ऑक्सीजन प्लांट्स के चारों तरफ जंग लगे ताले लटके हुए थे। मशीनों पर धूल और जाले चढ़ चुके हैं। कुछ स्थानों पर तो प्लांट के पास कचरे का ढेर और टूटी पाइपलाइनें पड़ी थीं। कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन प्लांट्स का मेंटेनेंस पिछले एक साल से नहीं हुआ। कुछ प्लांट्स तकनीकी कारणों से बंद हुए तो कुछ की निगरानी के लिए स्टाफ ही उपलब्ध नहीं है।
अस्पताल प्रशासन की मानें तो अभी केंद्र से मिलने वाली सप्लाई और दो चालू प्लांट्स से जरूरत भर की ऑक्सीजन मिल रही है, लेकिन सवाल ये उठता है कि जब भविष्य में किसी भी आपात स्थिति के लिए ये प्लांट्स बनाए गए थे, तो अब इन्हें चालू हालत में क्यों नहीं रखा जा रहा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह बहुत बड़ी लापरवाही है। ऑक्सीजन प्लांट्स सिर्फ महामारी के वक्त नहीं, सामान्य समय में भी ICU, ट्रॉमा और ऑपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर इस्तेमाल होते हैं। यदि एक साथ मांग बढ़े तो दो प्लांट्स नाकाफी साबित हो सकते हैं।
सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन भास्कर की इस पड़ताल ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।