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एसएमएस अस्पताल परिसर में खुलेआम शराबखोरी, पुलिस थाने के पास ही चल रहा अवैध कारोबार

एसएमएस अस्पताल परिसर में खुलेआम शराबखोरी, पुलिस थाने के पास ही चल रहा अवैध कारोबार

राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को उस समय हैरानी का सामना करना पड़ रहा है, जब अस्पताल परिसर में दवा के साथ-साथ दारू भी आसानी से उपलब्ध करवाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि यह अवैध शराब कारोबार एसएमएस पुलिस थाने से महज कुछ कदमों की दूरी पर बेखौफ चल रहा है।

जानकारी के अनुसार, एसएमएस अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास बनी गुमटियों, ढाबों और छोटी दुकानों में चोरी-छिपे शराब बेची जा रही है। कुछ दुकानों ने तो कोनों में छोटी गुमटीनुमा कमरे बना रखे हैं, जिन्हें मिनी बार का रूप दे दिया गया है। इन मिनी बारों में शराबियों को बैठकर शराब पीने की पूरी सुविधा दी जा रही है। अस्पताल जैसे संवेदनशील परिसर में इस तरह की गतिविधियां न केवल नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और शांति के लिए भी बड़ा खतरा बन चुकी हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दिन ढलते ही इन दुकानों पर शराबियों की आवाजाही बढ़ जाती है। कई बार शराब के नशे में धुत लोग अस्पताल परिसर में हंगामा करते नजर आते हैं, जिससे मरीजों, महिला परिजनों और बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ती है। इलाज के लिए आए लोग सवाल उठा रहे हैं कि जहां एक ओर अस्पताल प्रशासन मरीजों की सुविधा और अनुशासन की बात करता है, वहीं दूसरी ओर परिसर में खुलेआम शराब परोसी जा रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है, लेकिन न तो पुलिस और न ही अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब एसएमएस पुलिस थाने के बेहद नजदीक हो रहा है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

कानून के अनुसार, अस्पताल परिसर और उसके आसपास शराब बिक्री और सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद गुमटियों और ढाबों में इस तरह से मिनी बार संचालित होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह स्थिति और गंभीर रूप ले सकती है।

मरीजों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि अस्पताल परिसर को तुरंत शराब मुक्त घोषित कर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ पुलिस और आबकारी विभाग को संयुक्त अभियान चलाना चाहिए।

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