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जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में शुगर और हार्ट की दवाइयां नहीं, वीडियो में जानें जिम्मेदार बोले- जल्द खरीद करके इस कमी को दूर करेंगे

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में शुगर और हार्ट की दवाइयां नहीं, वीडियो में जानें जिम्मेदार बोले- जल्द खरीद करके इस कमी को दूर करेंगे

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक सवाई मानसिंह (एसएमएस) हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीज इन दिनों जरूरी दवाइयों की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि शुगर, हार्ट और अन्य सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को रोजमर्रा की जरूरी दवाएं भी अस्पताल से नहीं मिल पा रही हैं।

पिछले 20 दिनों से अधिक समय से अस्पताल के दवा वितरण काउंटरों पर कई जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। दवाओं की नियमित आपूर्ति बाधित होने से हजारों की संख्या में आने वाले मरीजों को बाज़ार से महंगे दामों पर दवा खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब अस्पताल को पर्याप्त बजट पहले से ही आवंटित किया गया है।

मरीजों को आर्थिक बोझ

अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीज ग्रामीण या निम्न आय वर्ग से होते हैं, जो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और दवाओं पर निर्भर रहते हैं। एक मरीज रमेश यादव, जो शुगर की दवा लेने प्रतापगढ़ से आए थे, ने बताया,
"डॉक्टर ने तो दवा लिख दी, लेकिन काउंटर पर कहा गया कि स्टॉक में नहीं है। बाहर से खरीदनी पड़ी जो काफी महंगी थी।"

इसी तरह हार्ट की दवा लेने आए एक अन्य मरीज ने बताया कि उन्हें 1,200 रुपये की दवाइयां बाहर से लेनी पड़ीं, जो आम तौर पर अस्पताल से मुफ्त मिलती हैं।

बजट है, दवा नहीं

सूत्रों के मुताबिक अस्पताल को इस वित्तीय वर्ष के लिए दवाइयों की खरीद के लिए बजट मिल चुका है। इसके बावजूद टेंडर की प्रक्रिया या आपूर्ति में देरी के चलते दवाओं की कमी बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोक्योरमेंट प्रोसेस में लापरवाही या सुस्ती इस संकट का प्रमुख कारण है।

प्रशासनिक चुप्पी

अस्पताल प्रशासन की ओर से इस संबंध में अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, दवा वितरण काउंटर के कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने बार-बार उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

दवाइयों की कमी से इलाज प्रभावित

इस संकट का सबसे अधिक असर ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) और क्रॉनिक मरीजों पर पड़ा है, जो हर महीने अस्पताल से दवाइयों पर निर्भर रहते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यदि यह स्थिति लंबी चली तो कई मरीजों की हालत बिगड़ सकती है।

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