Jaipur ब्लड कैंसर मरीजों के लिए बड़ी राहत, बोन मैरो ट्रांसप्लांट फेल होने पर CAR-T थेरेपी बचाएगी

राजस्थान न्यूज़ डेस्क, कैंसर मरीजों के लिए राहत की खबर है। बोनमेरो ट्रांसप्लांट, गामा मशीन जैसे अत्याधुनिक तकनीक से इलाज शुरू होने के बाद अब कार्ट (सीएआर-टी) थैरेपी भी स्टेट कैंसर हॉस्पिटल में शुरू हो सकेगी। विश्व स्तर पर कार्ट सेल (कोशिकाएं) बनाने पर काम और इससे ब्लड कैंसर पेशेंट का इलाज किए जाने का प्रयोग जहां सफल रहा है, वहां भारत में भी इन सेल को बनाने पर अंतिम चरण में काम चल रहा है। जैसे ही इन कार्ट सेल को बनाए जाने का प्रोसेस पूरा होगा, उसके महज एक महीने में स्टेट कैंसर हॉस्पिटल (एससीआई) में इस तकनीक से इलाज शुरू हो सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्ट सेल प्रोसिजर को पूरा करने के लिए जिन भी उपकरणों, संसाधनों और स्टाफ की जरूरत होती है, वह लगभग एससीआई में पूरे कर लिए गए हैं। क्या है कार्ट सेली थैरेपी, इससे क्या और कैसे फायदा मिलेगा..इस पर भास्कर की विशेष रिपोर्ट...।
राजस्थान में नि:शुल्क होगा, जबकि अन्य जगह 30 से 35 लाख और विदेशों में एक करोड़ तक खर्च
इन मरीजों में कारगर, विदेशों की तुलना में खर्च भी कम ब्लड कैंसर के जिन मरीजों में कीमो-रेडियो व बोनमेरो ट्रांसप्लांट भी सफल नहीं हो पाते, उनके लिए यह तकनीक वरदान साबित होगी। सामान्य भाषा में कैंसर की उन कोशिकाओं को ही कैंसर के अंगेस्ट डवलप किया जाएगा। विदेश में इस तकनीक का खर्च एक करोड़ रुपए से भी अधिक है। वहीं भारत में इसका खर्च 30 से 35 लाख रुपए तक का होगा, लेकिन राजस्थान में निशुल्क योजना के तहत ये इलाज फ्री मिल सकेगा।
क्या है सीएआर-टी
थैरेपी में दवा नहीं दी जाती, बल्कि सीएआर-टी सेल थैरेपी रोगी की कोशिकाओं का उपयोग करती है। प्रक्रिया में टी-कोशिकाओं को एक्टिव किया जाता है और कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने या उतनी क्षमता तक के लिए लैब में काम किया जाता है। पहले पेशेंट के ब्लड से टी-कोशिकाओं को लिया जाता है और फिर विशेष रिसेप्टर के जीन को प्रयोगशाला में टी-कोशिकाओं से संयोजित करते हैं। कोशिकाएं पेशेंट की कैंसर कोशिकाओं पर निश्चित प्रोटीन को भेदती है। विशेष रिसेप्टर को काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) कहते हैं। बड़ी संख्या में CAR T- कोशिकाएं लैब में सृजित की जाती हैं। अभी ल्यूकेमिया और लिम्फोमा में इसकी सफलता 90 प्रतिशत तक सामने आई है।
जयपुर न्यूज़ डेस्क !!!