पाकिस्तान के दो टुकड़े करने वाले भारतीय फौजी, वीडियो में जानें जनरल सगत सिंह जिनके आगे रोते थे पाक आर्मी के कई बड़े अधिकारी

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक बार फिर तनाव की स्थिति बनी रही। दोनों देशों के बीच हुए सीमित संघर्षों और सीजफायर के बाद, पुरानी जंगों की यादें ताज़ा हो गई हैं। एक बार फिर उन ऐतिहासिक युद्धों की चर्चा जो भारत और पाकिस्तान के बीच हो चुके हैं, खासकर 1971 के युद्ध की, जिसने उपमहाद्वीप का भूगोल ही बदल दिया था।
1971 का युद्ध न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसके रणनीतिक और राजनीतिक परिणाम भी दूरगामी रहे। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी और उसके बाद दुनिया ने एक नए देश का जन्म देखा – बांग्लादेश। इस युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा भारत के सैन्य अभियान के चलते अलग हो गया और एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस जीत में भारतीय सेना के कई बहादुर अफसरों और जवानों की भूमिका उल्लेखनीय रही, जिनमें एक प्रमुख नाम है – लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह।
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से ताल्लुक रखने वाले जनरल सगत सिंह भारतीय सेना के उन चुनिंदा अधिकारियों में से थे, जिनकी रणनीतिक सूझबूझ और वीरता ने युद्ध का रुख ही बदल दिया। उन्होंने पूर्वी मोर्चे पर युद्ध का नेतृत्व करते हुए असंभव को संभव कर दिखाया। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के सिलहट और अन्य प्रमुख इलाकों में तेजी से कब्जा किया, जिससे पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।
जनरल सगत सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना ने मेघना नदी पार कर जो साहसी अभियान चलाया, वह अब भी सैन्य रणनीति के अध्ययन में एक उदाहरण के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने हेलीकॉप्टरों के माध्यम से सेना को तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया, जिससे पाकिस्तानी सेना को चौंकाने में सफलता मिली। उनका यह अभियान "मेघना हेलिबोर्न ऑपरेशन" के नाम से प्रसिद्ध हुआ, और यही वह निर्णायक कदम था जिसने युद्ध का पलड़ा पूरी तरह भारत के पक्ष में कर दिया।
पाकिस्तान इस युद्ध में न केवल हार गया, बल्कि उसके लगभग 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो किसी भी युद्ध में अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है। यह भारत की एक ऐतिहासिक विजय थी, जिसे दुनिया भर में सराहा गया।
आज जब भारत-पाक सीमा पर तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है, तब 1971 की इस विजय की यादें स्वतः ही ताजा हो जाती हैं। ऐसे समय में जनरल सगत सिंह जैसे योद्धाओं के योगदान को याद करना जरूरी हो जाता है, जिन्होंने देश की एकता, अखंडता और गरिमा के लिए अदम्य साहस दिखाया।