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जयपुर के रामगढ़ बांध को भरने के लिए कैसे आर्टिफिशियल बारिश का अनोखा प्रोजेक्ट, वीडियो में जाने कब से शुरू होगा

जयपुर में रामगढ़ बांध को भरने के लिए आर्टिफिशियल बारिश का अनोखा प्रोजेक्ट, 30 जुलाई से शुरू होगा

जयपुर के रामगढ़ बांध को आर्टिफिशियल बारिश से भरने के लिए एक अनोखा प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई गई है। यह प्रोजेक्ट 30 जुलाई से शुरू होने की संभावना है, और इसके बाद लगभग एक महीने से भी ज्यादा समय तक इसे चलाया जाएगा। इस प्रक्रिया के जरिए बांध में पानी की कमी को दूर किया जाएगा, जो इस साल के मौसम में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने की पुष्टि

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस प्रोजेक्ट की जानकारी दी और बताया कि इस प्रक्रिया में कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशियल रेन) का इस्तेमाल किया जाएगा। यह बारिश ड्रोन के माध्यम से की जाएगी, जिससे बांध के क्षेत्र में अधिक पानी इकट्ठा हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उनसे संपर्क किया था और पूरी प्रक्रिया को समझाने के बाद, उन्होंने इस योजना को हरी झंडी दी।

आर्टिफिशियल बारिश का तरीका और लाभ

आर्टिफिशियल बारिश की प्रक्रिया को "क्लाउड सीडिंग" कहा जाता है, जिसमें बादलों में खास रसायन डाले जाते हैं, जिससे बारिश हो सकती है। इस तकनीक का इस्तेमाल खासकर तब किया जाता है जब प्राकृतिक रूप से बारिश का कोई आसार न हो या पानी की कमी से समस्या बढ़ रही हो।

इस प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन के माध्यम से उन क्षेत्रों पर रसायन डाले जाएंगे, जहां बादल पहले से मौजूद हैं, लेकिन बारिश नहीं हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक से पर्याप्त मात्रा में पानी जमा किया जा सकता है, जो रामगढ़ बांध की पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा।

कैबिनेट मंत्री का बयान

किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, "यह एक तकनीकी चुनौती है, लेकिन हमने पूरी प्रक्रिया को समझ लिया है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हमसे संपर्क किया था और बताया कि यह प्रक्रिया सुरक्षित है और इसके सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस प्रयास से रामगढ़ बांध में पानी की आपूर्ति में सुधार होगा।"

प्रोजेक्ट के महत्व पर जोर

रामगढ़ बांध जयपुर के प्रमुख जलस्रोतों में से एक है, जो शहर के पानी की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों में, बांध में पानी की कमी के कारण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। ऐसे में इस आर्टिफिशियल बारिश प्रोजेक्ट को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि यह समाधान साबित होगा और बांध की जलस्तर को पर्याप्त स्तर तक पहुंचाया जा सकेगा।

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव

यह प्रोजेक्ट न केवल जल संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण पर इसके प्रभाव को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक किया जाए, तो यह किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न नहीं करेगा। इसके बावजूद, पर्यावरणीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।

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