जयपुर की मस्जिद में अवैध निर्माण पर हेरिटेज नगर निगम की कार्रवाई, नोटिस चस्पा कर 180 दिन के लिए सील किया गया
राजधानी जयपुर के वार्ड नंबर 22 स्थित एक मस्जिद में चल रहे कथित अवैध निर्माण कार्य को लेकर नगर निगम हेरिटेज ने सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई की है। निगम की टीम ने 10 जुलाई को मस्जिद के मुख्य द्वार पर नोटिस चस्पा करते हुए स्थल को 180 दिन के लिए सीज (सील) कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों और संगठनों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
क्या है मामला?
जानकारी के अनुसार, जयपुर के गंगापुर पोल क्षेत्र में स्थित मस्जिद में अनधिकृत निर्माण कार्य किया जा रहा था। नगर निगम हेरिटेज को जब इस बारे में शिकायत मिली, तो जांच के बाद पाया गया कि निर्माण नक्शा स्वीकृति के बिना किया जा रहा है।
इसके बाद निगम की ओर से पहले एक चेतावनी नोटिस जारी किया गया, और निर्माण कार्य नहीं रुकने पर दूसरा नोटिस जारी कर मस्जिद के मुख्य द्वार पर चस्पा किया गया।
सील करने की कार्यवाही
निगम की टीम ने बताया कि निर्माण कार्य नगर विकास और भवन विनियमों के खिलाफ था। लिहाज़ा भवन उपविधियों की धारा 194 के तहत यह कार्रवाई की गई है।
मस्जिद परिसर को 180 दिनों के लिए सील कर दिया गया है, जिससे अब वहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य या अन्य गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी।
स्थानीय लोगों की आपत्ति
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय समुदाय और कुछ धार्मिक संगठनों ने नाराजगी जताई है। लोगों का कहना है कि नगर निगम ने बिना पूर्व सूचना के कार्रवाई की, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
कुछ संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा एकतरफा कार्रवाई की गई और संवाद या वैकल्पिक समाधान का कोई प्रयास नहीं किया गया।
निगम का पक्ष
नगर निगम हेरिटेज के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में की गई है और धार्मिक स्थल होने के बावजूद किसी को निर्माण नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि संबंधित पक्ष उचित दस्तावेज और अनुमति प्रस्तुत करता है तो आगे की कार्रवाई पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
गंगापुर पोल में पहले भी नोटिस
गौरतलब है कि गंगापुर पोल क्षेत्र में पहले भी अनधिकृत निर्माण को लेकर नगर निगम दो बार नोटिस जारी कर चुका है। यह इलाका हेरिटेज जोन में आता है, जहां निर्माण कार्यों को लेकर सख्त नियम लागू हैं।
ऐसे में निगम का कहना है कि संरक्षित क्षेत्रों में बिना अनुमति निर्माण पूर्ण रूप से अवैध है।

