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राजेंद्र राठौड़ और टीकाराम जूली के बीच तीखी बहस, वीडियो में देखें सामने लाना चाहते हैं सरकार की नाकामी

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों ‘राइजिंग राजस्थान’ अभियान को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के जरिए प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। वहीं, शुक्रवार को सरकार की ओर से वरिष्ठ मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने शायराना अंदाज़ में पलटवार कर सियासी माहौल को और गरमा दिया।

टीकाराम जूली ने ‘राइजिंग राजस्थान’ को महज एक प्रचार अभियान बताते हुए सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि सरकार विकास के नाम पर दिखावे की राजनीति कर रही है और ज़मीनी स्तर पर आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही। उनका कहना था कि ‘राइजिंग राजस्थान’ सिर्फ पोस्टर-बैनर और इवेंट्स तक सीमित है, जबकि असली मुद्दे—बेरोज़गारी, महंगाई और किसान समस्याएं—ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।

जवाब में शुक्रवार को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने सोशल मीडिया पर शायरी के अंदाज में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा:
"जो सच के सिपाही थे, वो डटे रहेंगे,
झूठ के सौदागर ही पलटते रहेंगे, जूली जी।"

इस एक पंक्ति के जवाब ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।

राठौड़ ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि विपक्ष की भूमिका लोकतंत्र में अहम होती है, लेकिन जब सवाल उठाने का आधार ही झूठ हो, तो जनता खुद जवाब देना जानती है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार के नेतृत्व में राजस्थान हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और 'राइजिंग राजस्थान' उसका प्रमाण है।

यह जुबानी जंग सिर्फ दो नेताओं तक सीमित नहीं रही। सोशल मीडिया पर दोनों दलों के समर्थकों ने भी मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस समर्थक जूली के पक्ष में सरकार की खामियों को गिनाते नजर आए, तो भाजपा समर्थक राठौड़ की बातों को सच बताते हुए सरकारी उपलब्धियों का बखान करते दिखे।

विश्लेषकों का मानना है कि ‘राइजिंग राजस्थान’ महज एक विकास अभियान नहीं, बल्कि सरकार की छवि को संवारने की रणनीति भी है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। वहीं, सत्ता पक्ष इसे विकास की नई कहानी बता रहा है।

राजनीतिक गलियारों में इस तकरार को आगामी निकाय और पंचायत चुनावों की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है, जहां सोशल मीडिया एक बड़ा हथियार बनकर उभरा है।

फिलहाल, इस जुबानी जंग ने यह तो साफ कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में आने वाले दिनों में और गर्मी देखने को मिलेगी—और वह सिर्फ मौसम की नहीं, सियासत की भी होगी।

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