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बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में आज सुनवाई, 14 साल पुराने मामले में धारीवाल की मुश्किलें बढी

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बहुचर्चित एकल पट्टा मामले की आज (10 फरवरी) दोपहर 3:30 बजे राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव की विशेष एकल पीठ द्वारा की जाएगी। पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के पूर्व अधिकारियों पर एकल पट्टा मामले में अनियमितताओं का आरोप है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पुराने आदेश को रद्द करते हुए दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है। इसके अनुसार, हाईकोर्ट को 6 महीने के भीतर अपना फैसला देना होगा।

तुषार मेहता और कपिल सिब्बल सहित कई प्रसिद्ध वकील इस मामले पर बहस करेंगे।
इस मामले की सुनवाई में दोनों पक्षों के वरिष्ठ वकील बहस करेंगे। राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू, अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिवमंगल शर्मा और विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा उपस्थित रहेंगे। जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद दलीलें पेश करेंगे। कार्यकर्ता अशोक पाठक की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह और अधिवक्ता वागीश कुमार सिंह बहस करेंगे।

जानिए क्या है पूरा मामला
यह मामला जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2011 में दिए गए एकल पट्टे से संबंधित है। दो साल बाद, 2013 में, रामशरण सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराई कि नियमों के विरुद्ध पट्टा दिया गया, जिससे राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ। वर्ष 2014 में एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।

इस जांच में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू समेत छह आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक शैलेंद्र गर्ग समेत कई अधिकारियों के खिलाफ जांच भी की गई। एसीबी ने इस मामले में शांति धारीवाल से भी पूछताछ की है। हालाँकि, एसीबी ने किसी भी गलत काम से इनकार करते हुए तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।

एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परिवादी ने शांति धारीवाल को आरोपी बनाने के लिए कोर्ट में अर्जी पेश की। धारीवाल ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 15 नवंबर 2022 को विरोध याचिका और अन्य आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि मामले की पुनः सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी की जाए। इस आदेश के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की अध्यक्षता में विशेष एकलपीठ का गठन किया है।

एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परिवादी ने शांति धारीवाल को आरोपी बनाने के लिए कोर्ट में अर्जी पेश की। धारीवाल ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 15 नवंबर 2022 को विरोध याचिका और अन्य आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।

भाजपा सरकार ने पहले क्लीन चिट दी, फिर खुद ही इसे गलत करार दे दिया।
इस मामले में भाजपा सरकार की ओर से 22 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर शांति धारीवाल व अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई थी। लेकिन सरकार के भीतर आलोचना के बाद इस मामले के केस अधिकारी और वकील को भी बदल दिया गया। सरकार ने नया हलफनामा पेश करते हुए पुराने जवाब को झूठा बताया और कहा कि यह वरिष्ठ अधिकारियों और अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) से परामर्श किए बिना दायर किया गया था। इसके बाद राजस्थान सरकार ने इस मामले में बहस करने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिवमंगल शर्मा को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है।

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