
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी सहित कुल 9 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है और 15 दिन में जवाब देने के लिए कहा है। चुनाव आयोग की नजर में इन पार्टियों ने पिछले 6 साल में कोई चुनाव नहीं लड़ा, जो उनकी राजनीतिक सक्रियता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
घनश्याम तिवाड़ी, जिन्होंने साल 2018 में भारत वाहिनी पार्टी का गठन किया था, को भी इस नोटिस का सामना करना पड़ा है। तिवाड़ी की पार्टी, जो पहले राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति बनने की कोशिश में थी, अब चुनावी मैदान से गायब हो गई है। चुनाव आयोग ने अपनी जांच के बाद पाया कि इस पार्टी ने पिछले 6 साल में किसी भी चुनाव में अपनी ताकत आजमाई नहीं है, जिससे पार्टी की अस्तित्वता और सक्रियता पर सवाल उठने लगे हैं।
नोटिस में यह कहा गया है कि यदि ये दल अपनी चुनावी गतिविधियों और कार्यों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उन्हें आगामी चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने से पहले अपने रजिस्ट्रेशन को फिर से प्रमाणित करने की आवश्यकता हो सकती है। चुनाव आयोग के अनुसार, यह कदम उन राजनीतिक दलों की समीक्षा के लिए उठाया गया है, जो अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं या जिन्होंने हाल के वर्षों में चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है।
भारत वाहिनी पार्टी का इतिहास और स्थिति
2018 में घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी पार्टी भारत वाहिनी की स्थापना की थी, और इस उम्मीद के साथ कि यह पार्टी राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ लाएगी। हालांकि, यह पार्टी अब तक किसी भी महत्वपूर्ण चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाई और धीरे-धीरे सियासी चर्चा से बाहर हो गई। तिवाड़ी का कहना था कि पार्टी राज्य की जनता के मुद्दों को लेकर आवाज उठाएगी, लेकिन समय के साथ इसे चुनावी सफलता नहीं मिल पाई।
राज्य की राजनीति में घनश्याम तिवाड़ी का एक लंबा इतिहास रहा है, वे पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े हुए थे, लेकिन कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने BJP से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई। अब आयोग की ओर से भेजे गए नोटिस ने इस बात पर सवाल खड़ा किया है कि क्या उनकी पार्टी या अन्य 8 दल राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय हैं या नहीं।
आयोग का उद्देश्य और अगला कदम
चुनाव आयोग का यह कदम उन राजनीतिक दलों की समीक्षा करने के लिए उठाया गया है, जो अपनी सक्रियता नहीं दिखा पा रहे हैं। आयोग का कहना है कि अगर पार्टी या दल चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेते, तो उनके अस्तित्व को लेकर पुनः विचार किया जा सकता है। इसके साथ ही, आयोग ने पार्टी प्रमुखों से यह भी कहा है कि वे चुनावी प्रक्रिया में अपनी भागीदारी को स्पष्ट करें।