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ऑल पार्टी डेलिगेशन पर गहलोत के बयान ने चढ़ाया सियासी पारा, वीडियो में जानें बोले - ट्रंप के बयान पर मोदी चुप क्यों 

ऑल पार्टी डेलिगेशन पर गहलोत के बयान ने चढ़ाया सियासी पारा, वीडियो में जानें बोले - ट्रंप के बयान पर मोदी चुप क्यों 

दुनियाभर में पाकिस्तान के दोहरे रवैये और आतंकवाद को लेकर भारत की सख्त नीति का संदेश देने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही विदेश दौरे पर रवाना होगा। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की असलियत उजागर करना और यह बताना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है।

हालांकि, इस प्रतिनिधिमंडल को लेकर राजनीति गर्मा गई है। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर का नाम जब इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया, तो यह कदम कई विपक्षी और सत्तापक्ष के नेताओं के बीच बहस का मुद्दा बन गया। थरूर के पुराने बयानों और विदेश नीति पर उनके रुख को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम पर अब राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने कहा, "यह सब सरकार की सोची-समझी शरारत है। इस तरह के मुद्दों को उछालकर ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।"

गहलोत का कहना है कि शशि थरूर एक अनुभवी और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार नेता हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भी सेवाएं दी हैं। ऐसे में उनके अनुभव का उपयोग करना किसी भी प्रतिनिधिमंडल के लिए फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे को जानबूझकर विवाद का रूप दे रही है ताकि असली मुद्दों से जनता का ध्यान हटाया जा सके।

प्रतिनिधिमंडल की योजना के अनुसार, यह टीम अमेरिका, यूरोप और कुछ अन्य महत्वपूर्ण देशों का दौरा करेगी और वहां के राजनीतिक व कूटनीतिक अधिकारियों से मुलाकात कर भारत की ओर से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर तथ्य प्रस्तुत करेगी। इसके माध्यम से भारत का यह संदेश साफ तौर पर दिया जाएगा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।

केंद्रीय सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं ताकि देश की एकता और साझा स्वर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया जा सके। लेकिन शशि थरूर जैसे चेहरे को लेकर उठ रहे सवालों ने सरकार की रणनीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

विपक्ष का आरोप है कि यदि सरकार वाकई में आतंकवाद के मुद्दे को लेकर गंभीर है, तो उसे सभी दलों को विश्वास में लेकर काम करना चाहिए, न कि एक नेता को विवाद का केंद्र बनाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करनी चाहिए।

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