रामगढ़ बांध में कृत्रिम बारिश का पहला प्रयास फेल, एक्सक्लुसीव वीडियो में जानें कंपनी बनाने लगी बहाने
रामगढ़ बांध क्षेत्र में मंगलवार को की गई कृत्रिम बारिश की पहली कोशिश नाकाम रही। क्लाउड सीडिंग के इस प्रयास में तकनीकी और प्रशासनिक दोनों तरह की बाधाएं सामने आईं। परियोजना संचालित कर रही कंपनी का कहना है कि बारिश के लिए आवश्यक बादल काफी ऊंचाई पर थे, जबकि प्रशासन ने ड्रोन को केवल 400 फीट तक उड़ाने की अनुमति दी थी।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने मानसून में कमी के कारण जल संकट से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय लिया था। इस योजना के तहत एक विशेष ड्रोन के जरिए बादलों में रासायनिक कण छोड़कर वर्षा कराने का प्रयोग किया गया। लेकिन मंगलवार को किए गए पहले प्रयास में ड्रोन केवल 400 फीट तक ही उड़ सका, जबकि बादल उससे कहीं अधिक ऊंचाई पर मौजूद थे।
कंपनी की सफाई
क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि सफल कृत्रिम बारिश के लिए ड्रोन को बादलों के स्तर तक ले जाना जरूरी होता है, जो कई हजार फीट ऊंचाई पर होते हैं। लेकिन जयपुर प्रशासन की ओर से उड़ान सीमा 400 फीट तय किए जाने के कारण यह संभव नहीं हो सका। उन्होंने यह भी कहा कि मौसम की परिस्थितियां भी पूरी तरह अनुकूल नहीं थीं।
जल संकट के बीच उम्मीदें
जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में इस समय जल संकट गहराता जा रहा है। रामगढ़ बांध, जो कभी शहर के लिए प्रमुख जल स्रोत था, वर्षों से सूखा पड़ा है। प्रशासन की योजना है कि क्लाउड सीडिंग के जरिए यहां पानी की आवक बढ़ाई जाए और भूजल स्तर में सुधार लाया जाए।
अगले प्रयास की तैयारी
अधिकारियों का कहना है कि यह केवल शुरुआती प्रयोग था और इसकी विफलता से मिले अनुभव के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में जब बादल निचले स्तर पर और घने होंगे, तब दोबारा प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही ड्रोन की उड़ान सीमा बढ़ाने के लिए आवश्यक अनुमति लेने पर भी विचार हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश पूरी तरह से मौसम की अनुकूल परिस्थितियों पर निर्भर करती है। यदि बादल सही ऊंचाई और नमी के साथ मौजूद हों, तभी क्लाउड सीडिंग से अपेक्षित परिणाम मिल सकते हैं।

