Samachar Nama
×

राजस्थान में पांचवे टाइगर रिजर्व का गठन, 108 गांवों के विस्थापन पर ग्रामीणों का विरोध

राजस्थान में पांचवे टाइगर रिजर्व का गठन, 108 गांवों के विस्थापन पर ग्रामीणों का विरोध

राजस्थान को अब पांचवां टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है, लेकिन इस फैसले के साथ हजारों ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार ने हाल ही में धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के बफर ज़ोन का नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके चलते धौलपुर और करौली जिलों के 108 गांव विस्थापन की जद में आ गए हैं।

विस्थापन की जद में आए 108 गांव

इस नोटिफिकेशन के बाद, धौलपुर जिले के 60 और करौली जिले के 48 गांवों को बफर ज़ोन में शामिल किया गया है, जिसके चलते इन गांवों के ग्रामीणों को अपने घरों और खेतों को छोड़ना होगा। अनुमानित तौर पर, 35 से 40 हजार लोग इस विस्थापन से प्रभावित होंगे।

ग्रामीणों का विरोध

इस फैसले के बाद ग्रामीणों में असंतोष और विरोध की लहर दौड़ गई है। विस्थापन का विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि यह निर्णय उनके जीवन और आजीविका पर गहरा असर डालेगा। किसानों और परिवारों के लिए अपनी ज़मीन छोड़ना और नए ठिकाने पर जीवन शुरू करना एक बड़ी चुनौती होगी। ग्रामीणों का कहना है कि कृषि भूमि और जीविका के साधनों के बिना उनका जीवन मुश्किल हो जाएगा।

टाइगर रिजर्व का महत्व

राजस्थान सरकार का कहना है कि धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व का उद्देश्य बाघों और अन्य वन्य जीवों की रक्षा करना है। यह कदम वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

ग्रामीणों की चिंताएं

ग्रामीणों के विरोध के प्रमुख कारणों में विस्थापन के लिए उचित मुआवजा और नई ज़मीन का इंतज़ाम ना होना शामिल है। ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से इन ज़मीनों पर बसे हुए हैं, और सरकार ने उनका जीवनस्तर सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई है। इसके अलावा, आवासीय और जल आपूर्ति की समस्याएं भी उनकी चिंताओं में शामिल हैं।

राज्य सरकार का रुख

राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि विस्थापन के दौरान प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। सरकार ने कहा है कि वह विस्थापित लोगों के लिए सुनिश्चित समाधान प्रदान करने का प्रयास करेगी। इसके अलावा, धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व का उद्देश्य सिर्फ बाघों की संख्या बढ़ाना ही नहीं बल्कि संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा भी है।

Share this story

Tags