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डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या मामला, सातवें दिन भी धरने पर अड़े परिजन, शव लेने से किया इनकार

डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या मामला: सातवें दिन भी धरने पर अड़े परिजन, शव लेने से किया इनकार

जयपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल परिसर स्थित पीजी हॉस्टल में रेजिडेंट डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के मामले में तनाव लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार को लगातार सातवें दिन भी एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी के बाहर परिजन और समाज के लोग धरने पर बैठे रहे। उन्होंने साफ कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे शव नहीं लेंगे।

क्या है मामला?

रेजिडेंट डॉक्टर राकेश बिश्नोई ने कुछ दिन पहले पीजी हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी। बताया जा रहा है कि राकेश पर मानसिक दबाव था और अस्पताल में कुछ वरिष्ठों द्वारा किए गए व्यवहार से वह परेशान थे। हालांकि आत्महत्या के कारणों को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन परिजन इसे हर्षमेंट (परेशान करने) का मामला बता रहे हैं।

परिजनों की मांग

शुक्रवार को धरने के सातवें दिन भी परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। उनकी मुख्य मांगें हैं:

  • आत्महत्या के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों और स्टाफ पर सख्त कार्रवाई

  • न्यायिक जांच के आदेश

  • चिकित्सकों पर काम का मानसिक दबाव कम करने की नीति

  • रेजिडेंट्स के लिए मानवाधिकार आधारित माहौल

जोधपुर से आया चिकित्सक प्रतिनिधिमंडल

गुरुवार को जोधपुर से एक चिकित्सक प्रतिनिधिमंडल धरनास्थल पर पहुंचा था। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी और परिजनों का मांग पत्र लिया। हालांकि अब तक सरकार या प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिला है, जिससे परिजन नाराज़ हैं।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम में प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। सात दिन से धरना जारी है, लेकिन अभी तक न तो किसी अधिकारी ने ठोस आश्वासन दिया है, न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई हुई है।

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