निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, तीसरे निलंबन पर लगी मुहर
जयपुर हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल पीठ ने मंगलवार को उनके तीसरे निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट रूप से राज्य सरकार द्वारा जारी तीसरे निलंबन आदेश को सांविधानिक और विधिसम्मत ठहराया है।
राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर पर रिश्वत लेकर पट्टा जारी करने के गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें तीसरी बार निलंबित किया था। इस कार्रवाई को लेकर गुर्जर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने इस निलंबन को राजनीतिक द्वेष और प्रशासनिक दुरुपयोग करार देते हुए निरस्त करने की मांग की थी। हालांकि अदालत ने मामले की पूरी सुनवाई के बाद उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।
मुनेश गुर्जर को महज 13 महीने के कार्यकाल में तीसरी बार निलंबन का सामना करना पड़ा है। इससे पहले भी उनके खिलाफ विभिन्न अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर राज्य सरकार दो बार कार्रवाई कर चुकी है। लेकिन तीसरे निलंबन को लेकर यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था, जहां अब न्यायालय ने भी सरकार की कार्रवाई को सही माना है।
अदालत के फैसले के बाद मुनेश गुर्जर की नगर निगम में वापसी की संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के लिए एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है, बल्कि नगर निगम की कार्यशैली और भ्रष्टाचार के मामलों पर भी सख्त संदेश देता है।
इस पूरे प्रकरण पर अभी तक मुनेश गुर्जर या उनके वकीलों की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि माना जा रहा है कि वे अब इस मामले को लेकर डिवीजन बेंच या सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती हैं।
वहीं, नगर निगम के सूत्रों के अनुसार, मेयर पद की जिम्मेदारी फिलहाल प्रभारी व्यवस्था के तहत अन्य वरिष्ठ पार्षदों को सौंपी गई है और निगम के प्रशासनिक कार्य पहले की तरह जारी रहेंगे।
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कई विपक्षी नेताओं ने सरकार की कार्रवाई को “चयनात्मक” करार देते हुए निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जबकि कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार पर सरकार की यह कार्रवाई उसके पारदर्शिता के वादे का हिस्सा है।

