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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने गहलोत पायलट पर बोला हमला, वीडियो में देखें बोले - हमारे समय में ही क्यों होता है आंदोलन उग्र?

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने गहलोत पायलट पर बोला हमला, वीडियो में देखें बोले - हमारे समय में ही क्यों होता है आंदोलन उग्र?

राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन को लेकर सियासत गर्मा गई है। आंदोलन के उग्र रुख को लेकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने गुर्जर आंदोलन के हालिया घटनाक्रम को 'प्रायोजित' बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया।

“हमारे शासन में ही क्यों होता है आंदोलन उग्र?”

मदन राठौड़ ने कहा, “गुर्जर आंदोलन हमेशा हमारे शासनकाल में ही उग्र क्यों होता है? यह एक सोचने वाला विषय है। जब पहली बार वसुंधरा राजे की सरकार थी, तब भी आंदोलन उग्र हुआ था। लेकिन कांग्रेस के शासन में, चाहे अशोक गहलोत हों या कोई और, तब सब कुछ शांत रहता है।" उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह सब कुछ राजनीतिक रणनीति के तहत किया जा रहा है?

सचिन पायलट और अशोक गहलोत की मुलाकात पर उठाए सवाल

राठौड़ ने कहा कि आंदोलन से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस नेता सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुछ गुर्जर नेताओं से मुलाकात हुई थी, जिसे लेकर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "तीन दिन पहले ये दोनों नेताओं ने गुर्जर समाज के कुछ प्रतिनिधियों से मुलाकात की। क्या उसी दौरान आंदोलन को लेकर कोई रणनीति बनाई गई? अगर यह उसी का नतीजा है, तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।"

आंदोलन की पृष्ठभूमि

हाल ही में राजस्थान में गुर्जर समाज ने आरक्षण, सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी और समुदाय से जुड़े लंबित मामलों के निपटारे को लेकर आंदोलन छेड़ा है। कुछ स्थानों पर प्रदर्शन उग्र हो गया, जिससे रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुआ। राज्य सरकार के साथ समाज के प्रतिनिधियों की बातचीत जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया?

हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा अब गुर्जर आंदोलन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी राजनीति कर रही है। उनका दावा है कि कांग्रेस हमेशा संवाद और सहमति के रास्ते पर विश्वास करती है, जबकि भाजपा शासन में ही आंदोलन उग्र होते हैं, क्योंकि सरकार संवाद के बजाय दमन पर भरोसा करती है।

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले जातिगत और सामाजिक आंदोलनों को राजनीतिक रंग देने की कोशिशें तेज हो जाएंगी। मदन राठौड़ का यह बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, ताकि भाजपा अपने वोटबैंक को साध सके और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर सके।

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