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एम्स की तर्ज पर रिम्स बनाने के प्रोजेक्ट को बडा झटका, वीडियो में जानें RUHS को सरकार को सौंपने के आदेश पर हाईकोर्ट का बडा फैसला

एम्स की तर्ज पर रिम्स बनाने के प्रोजेक्ट को बडा झटका, वीडियो में जानें RUHS को सरकार को सौंपने के आदेश पर हाईकोर्ट का बडा फैसला

राजस्थान की राजधानी जयपुर में एम्स की तर्ज पर बनने वाले राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज और आरयूएचएस कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज को राज्य सरकार को सौंपने के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

यह फैसला हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिका में तर्क दिया गया कि आरयूएचएस (राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज) के अधीन चल रहे मेडिकल और डेंटल कॉलेजों को राज्य सरकार को सौंपने की प्रक्रिया से न केवल विश्वविद्यालय की स्वायत्तता प्रभावित होगी, बल्कि इससे संस्थानों की शैक्षणिक और प्रशासनिक गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि यह कदम बिना उचित प्रक्रिया और परामर्श के उठाया गया है, जिससे मेडिकल एजुकेशन से जुड़े विद्यार्थियों और फैकल्टी का भविष्य अधर में आ सकता है। इसके साथ ही, यह भी कहा गया कि ऐसे संस्थानों का सीधे सरकार को सौंपा जाना विश्वविद्यालय की अधिनियम और संविधान के भी खिलाफ है।

हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें दोनों कॉलेजों को सरकार को ट्रांसफर करने की बात कही गई थी। कोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित पक्षों से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है।

इस फैसले से जयपुर में प्रस्तावित रिम्स (RIMS) प्रोजेक्ट को तगड़ा झटका लगा है, जिसे एम्स की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई गई थी। सरकार की मंशा थी कि आरयूएचएस के मेडिकल और डेंटल कॉलेज को मिलाकर एक स्वायत्त मेडिकल संस्थान के रूप में रिम्स की स्थापना की जाए, जो चिकित्सा शिक्षा, शोध और सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं में अग्रणी भूमिका निभाए।

हालांकि, हाईकोर्ट की रोक के बाद अब इस योजना पर असमंजस की स्थिति बन गई है। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी अब कानूनी सलाह के बाद अगली रणनीति तय करेंगे।

गौरतलब है कि जयपुर में एम्स जैसी सुविधा विकसित करने की वर्षों से मांग की जा रही है, ताकि राज्य के लोगों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं और मेडिकल शिक्षा का लाभ मिल सके। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट न्यायिक प्रक्रिया के अधीन आ गया है।

इस बीच, छात्र संगठनों और मेडिकल स्टाफ यूनियनों ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और मांग की है कि कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श किया जाए।

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