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अशोक गहलोत का कृषि मंत्री किरोड़ीलाल की छापेमारी की कार्रवाई पर गहलोत ने उठाए सवाल, वीडियो में जानें कहा- "छापेमारी ब्यूरोक्रेसी का काम, मंत्री नहीं करें दखल"

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राजस्थान की सियासत में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के हाल ही में खाद-बीज फैक्ट्रियों पर किए गए छापेमारी अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह कार्रवाई मंत्री के स्तर पर नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेसी की जिम्मेदारी होती है।

गहलोत ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि –

"मंत्री के द्वारा सीधे फैक्ट्रियों पर छापा मारना परंपरा के लिहाज से ठीक नहीं है। यह काम ब्यूरोक्रेसी का होता है। अधिकारी पहले जांच करते हैं, जानकारी जुटाते हैं और फिर विधिवत कार्रवाई होती है।"

क्या है मामला?

दरअसल, हाल ही में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने खुद जयपुर और अन्य जिलों में खाद और बीज की दुकानों और फैक्ट्रियों पर छापेमारी की थी। उन्होंने घटिया और नकली बीज की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए यह कार्रवाई की थी। मंत्री ने मौके पर पहुंचकर कई स्थानों पर सैंपल लिए और तत्काल प्रभाव से लाइसेंस निलंबित करने के निर्देश भी दिए थे।

इस कदम को जहां सरकार समर्थक वर्ग ने "जनहित में त्वरित कार्रवाई" बताया, वहीं विपक्ष इसे "प्रशासनिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप" के रूप में देख रहा है।

गहलोत की आपत्ति और चिंता

गहलोत ने कहा कि यदि हर मंत्री इसी तरह फील्ड में जाकर छापे मारेगा तो यह प्रशासनिक ढांचे की कार्यप्रणाली को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर पहले सूचनाएं एकत्र करते हैं, फिर पूरी योजना बनाकर कार्रवाई करते हैं। मंत्री का दखल इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

गहलोत ने यह भी कहा कि –

"हमने अपने शासनकाल में भी छापे मरवाए हैं, लेकिन कभी मंत्री को आगे नहीं किया। क्योंकि इससे गलत संदेश जाता है और काम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।"

सियासी निहितार्थ

गहलोत का यह बयान न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया की बात करता है, बल्कि वर्तमान सरकार के कार्यशैली पर भी अप्रत्यक्ष टिप्पणी मानी जा रही है। इससे साफ है कि कांग्रेस अब भाजपा सरकार के हर कदम पर सवाल खड़े करने की रणनीति पर काम कर रही है।

किरोड़ीलाल मीणा की सफाई

इस पर अब तक मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि मंत्री ने छापेमारी जनता की शिकायतों और किसानों की समस्याओं को देखते हुए की, जिससे सीधे कार्रवाई कर जनता को राहत दी जा सके।

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