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भारत में वायु प्रदूषण बना कोविड-19 के बाद सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट, वीडियो में देखें डॉक्टर बोले सॉल्यूशन ढूंढने में हो चुकी है देर

भारत में वायु प्रदूषण बना कोविड-19 के बाद सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट, वीडियो में देखें डॉक्टर बोले सॉल्यूशन ढूंढने में हो चुकी है देर

भारत में वायु प्रदूषण अब कोविड-19 महामारी के बाद सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बन चुका है। ब्रिटेन में कार्यरत भारत के कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में यह चेतावनी दी है। डॉक्टरों का कहना है कि आने वाले वर्षों में प्रदूषण से लोगों की सेहत पर गंभीर और दीर्घकालिक असर पड़ेगा, साथ ही यह देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी दबाव डाल सकता है।

यदि तत्काल और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वायु प्रदूषण की समस्या हर साल और गंभीर होती जाएगी। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण के कारण न केवल सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, बल्कि हृदय रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में भी तेज़ी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। उन्होंने बताया कि पिछले दस सालों में हृदय रोगों में आई वृद्धि को अक्सर मोटापे और जीवनशैली से जोड़ा गया, लेकिन इसमें वाहनों, औद्योगिक गतिविधियों और विमानों से निकलने वाले जहरीले तत्वों की बड़ी भूमिका है।

ब्रिटेन में काम कर रहे डॉक्टरों ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण का असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक पड़ता है। बच्चों में श्वसन तंत्र और फेफड़ों के विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है, जबकि बुजुर्गों में हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है और डिप्रेशन व तनाव जैसी समस्याओं में वृद्धि कर सकता है।

डॉक्टरों ने सरकार और नागरिकों से आह्वान किया है कि प्रदूषण कम करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि वाहन कम उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाएँ, कारखानों और उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के कड़े उपाय लागू करें और हरित क्षेत्रों को बढ़ावा दें। साथ ही, लोगों को मास्क पहनने और वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिनों में घर के भीतर रहने की सलाह दी गई है।

यह भी चेतावनी दी कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दशक में वायु प्रदूषण भारत में एक स्थायी और गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन सकता है। इसके लिए नीतिगत बदलाव, सार्वजनिक जागरूकता और व्यक्तिगत सावधानियों का समन्वित प्रयास जरूरी है।

 वायु प्रदूषण को केवल पर्यावरणीय मुद्दा मानना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा स्वास्थ्य संकट है, जिसके निवारण के लिए तुरंत ठोस कदम उठाना अनिवार्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो आने वाले सालों में इससे होने वाली बीमारियों और मौतों में वृद्धि होगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भारी दबाव पड़ेगा।

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