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एसीबी के एएसपी जगराम मीणा भ्रष्टाचार के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार, वीडियो में जानें 9.35 लाख रुपये की वसूली राशि बरामद

एसीबी के एएसपी जगराम मीणा भ्रष्टाचार के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार, वीडियो में जानें 9.35 लाख रुपये की वसूली राशि बरामद

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की साख पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राजस्थान एसीबी के ही एएसपी जगराम मीणा को शुक्रवार को रंगे हाथों रिश्वत की मोटी रकम के साथ पकड़ा गया। यह मामला तब और भी चौंकाने वाला हो गया, जब यह खुलासा हुआ कि पिछले ही महीने 19 मई को एसीबी के ही एक अन्य एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को भी भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा गया था।

टोल प्लाजा पर हुई गिरफ्तारी

एसीबी की टीम ने शुक्रवार को शिवदासपुरा टोल प्लाजा पर कार्रवाई करते हुए एएसपी जगराम मीणा को वसूली की रकम ₹9 लाख 35 हजार के साथ गिरफ्तार किया। बताया जा रहा है कि यह रकम मीणा ने एक प्रकरण को निपटाने के एवज में ली थी। टीम ने जब मौके पर उन्हें पकड़ा, उस वक्त मीणा के पास से नकद राशि के साथ कुछ दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई से ब्यूरो के भीतर ही हलचल मच गई है।

एसीबी के भीतर ही भ्रष्टाचार!

एसीबी का गठन प्रदेश में भ्रष्टाचार को रोकने और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से किया गया है, लेकिन जब इस संस्था के ही अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं, तो यह न केवल संस्था की साख को धूमिल करता है, बल्कि आमजन का भरोसा भी टूटता है।

पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी

गौरतलब है कि 19 मई को एसीबी के ही एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को भी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस घटना के बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाले अधिकारी स्वयं ही इस दलदल में फंसे हुए हैं। अब जगराम मीणा की गिरफ्तारी ने इन शंकाओं को और बल दे दिया है।

आगे की कार्रवाई शुरू

सूत्रों के अनुसार, जगराम मीणा को एसीबी मुख्यालय लाकर पूछताछ की जा रही है। उनके मोबाइल फोन, दस्तावेज और बैंक लेन-देन की भी जांच की जाएगी। इस बात की भी जांच होगी कि क्या वह अकेले काम कर रहे थे या फिर इस भ्रष्टाचार में अन्य अधिकारी भी शामिल हैं।

जनता में आक्रोश और सवाल

इस घटना के सामने आने के बाद जनता के बीच आक्रोश और निराशा का माहौल है। एक ओर राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाने की बात करती है, वहीं एसीबी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के उच्च अधिकारी ही इस नीति को धत्ता बताते नजर आ रहे हैं।

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