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जयपुर में कांग्रेस का जोरदार उपद्रव, डोटासरा और जूली समेत 100 नेताओं को हिरासत में लिया गया

जयपुर में कांग्रेस का जोरदार उपद्रव, डोटासरा और जूली समेत 100 नेताओं को हिरासत में लिया गया

जयपुर में बुधवार को कांग्रेस का हल्ला बोल आंदोलन तेज हुआ, जिसमें पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित लगभग 100 कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बीजेपी मुख्यालय की ओर कूच कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान धक्का-मुक्की और नारेबाजी भी हुई।

घटना स्थल पर मौजूद eyewitnesses ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान कई महिला कार्यकर्ता बेहोश भी हुईं। इसके अलावा, विधायक मनीष यादव बैरिकेड पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें डंडे से रोका, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गिर पड़े।

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लेकर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं, विशेषकर ईडी का दुरुपयोग करके विपक्षी नेताओं को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत परेशान कर रही है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा तीनों जनता के सामने आ गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वालों को पार्टी में शामिल कर सारे पाप माफ़ कर देती है।

पुलिस ने हिरासत में लिए गए नेताओं को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर उनकी पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की। प्रशासन ने कहा कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में इस तरह के राजनीतिक प्रदर्शन राजनीतिक तनाव और विपक्ष-सरकार के बीच संघर्ष को दर्शाते हैं। ऐसे प्रदर्शन अक्सर कानून व्यवस्था और नागरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते हैं।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आंदोलन विपक्षी आवाज़ को दबाने की कोशिश के खिलाफ था। उनका कहना है कि जनता के अधिकार और राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है।

इस घटना ने जयपुर में सड़क यातायात और सामान्य जीवन को भी प्रभावित किया। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की कि वे प्रदर्शन स्थल से दूर रहें और स्थिति सामान्य होने तक आवश्यक सावधानियां बरतें।

राजस्थान में यह घटना इस बात को दर्शाती है कि राजनीतिक विरोध और प्रशासनिक नियंत्रण के बीच लगातार संघर्ष जारी है। भविष्य में इस तरह के आंदोलनों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर प्रभाव पर नजर रखी जा रही है।

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