Indore मासूमों को पढ़ाने-सिखाने होगा पंचतंत्र का कोना, जड़ों से जोड़ेगी संस्कारशाला

मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सत्र 2024 से पहली बार शुरू होने वाले प्री-स्कूल एलकेजी (अरुण), यूकेजी (उदय) के लिए ‘डिमॉन्स्ट्रेशन क्लासरूम’ का काम भोपाल से शुरू हो गया है. इसमें स्कूल शिक्षा विभाग की 2 एजेंसियों की भूमिका है. महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान पाठ्यक्रम चलाएगा जबकि हर जिला मुख्यालय पर एक-एक ‘आदर्श क्लासरूम’ के निर्माण-विकास का जिम्मा मप्र राज्य ओपन स्कूल बोर्ड ने लिया है.
भोपाल में एजुकेशन फॉर ऑल यानी ईएफए सरोजनी नायडू स्कूल में नवाचारी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किया है. आधुनिक और पारंपरिक शिक्षण व्यवस्था के लिए सिस्टम और टूल्स विकसित किए जा रहे हैं, ताकि शिक्षक प्रशिक्षण लें तो नन्हें-मुन्नों में बाल्यावस्था से ही संस्कृत से संस्कारिता एवं शिक्षा संग संस्कार डाल सकें. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इन कक्षाओं के शिक्षकों को पढ़ाने का अनुभव देकर वे प्रदेश के हर जिले में संचालित ईएफए स्कूल में नौनिहालों को पढ़ाएंगे.
पति-पत्नी वर्किंग हैं तो उनके बच्चों को संस्कारित करेंगे ये डे-बोर्डिंग
डे-बोर्डिंग स्कूलों में एलकेजी-यूकेजी में प्रवेश 03 से 06 वर्ष के नौनिहालों को दिया जाएगा जिनके माता-पिता दोनों कामकाजी हैं. एकल माता या पिता हैं या जिनके माता-पिता नहीं हैं वे दादा-दादी के साथ रहते हैं. स्कूल छह दिन से और समय सुबह 9 से शाम 6 बजे तक होगा. अभिभावकों को फीस भी दो दिन का वेतन मासिक शुल्क के रूप में देना होगा. प्रतिदिन पौष्टिक भोजन की सूची बनाई गई है.
जिसके आधार पर माता-पिता को दिन में तीन टिफिन भेजना होगा.
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान से संबद्धता प्राप्त स्कूलों में एनईपी-2020 के अनुसार पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम अनुसार पढ़ाई करवाई जाएगी. इनमें प्रशिक्षण के लिए उन शिक्षकों को चुना जाएगा जो बाल मनोविज्ञान (चाइल्ड साइकोलॉजी) और संस्कृत सम्भाषण में दक्ष हैं. इसमें भी अनिवार्य रूप से खेल हों या फिर करिकुलम हर गतिविधि को आनंददायक तरीके से सिखाना है. बच्चे को पढ़ाई करने जैसा बिल्कुल भी तनाव न हो, ये ध्यान रखा जाएगा.
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान इन प्री-स्कूलों में शुरुआत से ही बच्चों को संस्कृत, संस्कृति और मूल्यों की मजबूत नींव देगा. संस्कृत दुनिया की सभी भाषाओं की जननी है. यह भी सिद्ध हो चुका है कि अगर कोई बच्चा बचपन से संस्कृत बोलना सीख जाए तो वह दुनिया की किसी भी भाषा को बहुत आसानी से सीख और समझ सकता है. संस्कृत भाषा कौशल के साथ स्मरण शक्ति भी बढ़ाती है.
- प्रभात राज तिवारी, निदेशक, एमपीएसओएस
इंदौर न्यूज़ डेस्क !!!