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Indore में मेट्रो प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट में खत्म् हुई बहस, अब फैसले का इंतजार

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इंदौर न्यूज डेस्क।।  इंदौर में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बहस शुक्रवार को खत्म हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. आदेश जारी होने के बाद ही यह तय होगा कि मेट्रो के मौजूदा रूट में कोई बदलाव होगा या नहीं और क्या कोर्ट मेट्रो के कामकाज की निगरानी के लिए कोई कमेटी बनाएगा. हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका राजलक्ष्मी फाउंडेशन की ओर से दायर की गई है.

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया पेश हुए. शुक्रवार को डबल बेंच के समक्ष चर्चा में उन्होंने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट में कई खामियां हैं। शहर में जिन इलाकों में इस प्रोजेक्ट की जरूरत है, उसके अलावा इसे उन इलाकों से भी गुजारा जा रहा है, जहां मेट्रो उपलब्ध नहीं है। अब तक लवकुश चौराहा, रेडिसन चौराहा, विजय नगर इलाके में मेट्रो का काम हो चुका है। इन सभी क्षेत्रों में चौड़ी सड़कें हैं।

यही वजह है कि इन इलाकों में मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान ट्रैफिक की कोई बड़ी समस्या नहीं आई, लेकिन मेट्रो कंपनी ने एमजी रोड इलाके में मेट्रो को अंडरग्राउंड करने की योजना बनाई है. अगर ऐसा हुआ तो निर्माण के दौरान एमजी रोड को पूरी तरह से बंद करना पड़ेगा। काम पूरा होने में कम से कम दो साल लगने की उम्मीद है। इस दौरान नागरिकों को होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक योजना तैयार नहीं की गयी है.

याचिका में यह भी कहा गया कि मेट्रो को उन इलाकों से होकर गुजरना चाहिए जहां इसकी उपयोगिता अधिक होगी। स्कीम 140 के माध्यम से मेट्रो परियोजना को एमवाय के माध्यम से रीगल तक लाना अधिक उपयोगी लगता है, क्योंकि स्कीम 140 निर्माणाधीन नए जिला न्यायालय और एमवायएच दोनों में बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करेगी।

याचिका में यह भी कहा गया है कि शहरवासियों के लिए मेट्रो तो लाई जा रही है, लेकिन शहरवासियों से ही कोई सुझाव नहीं लिया गया है। अगर कोर्ट एक कमेटी बना दे तो इसकी बेहतर निगरानी हो सकेगी. अर्जी का विरोध करते हुए सरकार का कहना है कि गहन अध्ययन के बाद ही यह प्रोजेक्ट लाया गया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

मध्यप्रदेश न्यूज डेस्क।। 

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