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Indore हमारी मानसिकता प्रकृति का शोषण नहीं, दोहन करने वाली हो: शिवराज
 

Indore हमारी मानसिकता प्रकृति का शोषण नहीं, दोहन करने वाली हो: शिवराज

मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, कहा जाता है कि अगला तीसरा विश्वयुद्ध होगा, तो वह जल के लिए होगा. आज देश-दुनिया में पर्यावरण की जो स्थिति बनी है उसकी वजह प्रकृति का शोषण है. हमें प्रकृति का शोषण नहीं दोहन करने की जरूरत है. यह कार्य अकेले सरकार का नहीं, सभी लोगों की सहभागिता से होगा. जलतत्व पर मंथन में अमृत निकालेगा सरकार उसे जनहित में लागू करेगी.

सीएम शिवराज सिंह ने यह बात  तीन दिनी अंतरराष्ट्रीय सुजलाम जल महोत्सव सम्मेलन के उद्घाटन में कही. उन्होंने लोगों से जल, बेटी और बिजली बचाओ का आह्वान करते हुए बताया कि प्रदेश में 55 हजार किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने खुद को इस तरह का मुख्यमंत्री निरूपित किया जो सीएम हाउस में बिजली बचाने के लिए कर्मचारी से लड़ता है.
जलस्रोत सर्वाधिक प्रदूषित: केंद्रीय मंत्री शेखावत
सम्मेलन में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि जिस देश में जल को जगदीश मानने की परंपरा थी, उस देश में ही आज जलस्रोत सर्वाधिक प्रदूषित हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि पंचभूतों की अवधारण हमारे देश में विकसित हुई. हमें इस पर विचार करना है कि 2050 तक लोगों को अन्न व जल कैसे उपलब्ध करवाएंगे. इस अवसर पर सुमंगली पुस्तक का विमोचन किया गया. बता दें कि मप्र जनअभियान परिषद और दीनदयाल शोध संस्था की ओर से सम्मेलन में भारतीय परंपरा के दृष्टिगत रखते हुए जल तत्व पर मंथन किया जा रहा है.  सम्मेलन में सरसंघ चालक मोहन भागवत भी शामिल होंगे.
करते हैं पाप
आरएसएस के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, विकास के जो मापदंड पश्चिम ने तय किए हैं, हम उनसे सहमत नहीं. विकास की बड़ी कीमत हम चुका रहे हैं. विकास का यह मॉडल मृत्यु की ओर ले जाता है. जिस नदी को मां मानते हैं, उसे हम प्रदूषित करने का पाप भी करते हैं. हमें पर्यावरण केंद्रित जीवन पद्धति को पुनर्स्थापित करना है.

इंदौर न्यूज़ डेस्क !!!
 

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