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Haridwar धान की बालियां हो रही काली, फसल पर खतरा मंडराया
 

Durg  20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी से किसानों के चेहरे चमके


उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क,  हरिद्वार जिले में बाढ़ के बाद खेतों में लगातार पानी भरा रहने के कारण ज्यादा नमी धान की सफल के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. अधिकतर क्षेत्र में धान की सुनहरी बालियां काली पड़ने लगी हैं. इससे उत्पादन पर भी करीब 40 प्रतिशत तक असर पड़ने का खतरा है. यही स्थिति कुमाऊं के मैदानी क्षेत्रों में भी है.

हरिद्वार जिले के लक्सर, खानपुर और बहादराबाद विकासखंड एक्सपोर्ट क्वालिटी के धान का उत्पादन करने में आगे रहता है. यहां सबसे अधिक पैदावार एक्सपोर्ट क्वालिटी के बासमती धान की होती है. इस बार जुलाई में आई बाढ़ के बाद खेतों में लगातार पानी भरा रहने के कारण धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है. किसान महक सिंह और कुशलपाल सिंह ने बताया कि जुलाई में धान के पौधे पर फूल आना शुरू होता है. उड़ने वाले कीट पतंगों से इसका प्रकीर्णन व प्रजनन होता है, जिससे पौधे पर ज्यादा व स्वस्थ थौल (बालियां) आती है. आपदा के साइड इफेक्ट के कारण इस बार आधे से भी कम थौल आए हैं. सुरेंद्र कुमार, योगेंद्र सिंह ने बताया कि ज्यादा नमी के कारण जहां दाना पतला पड़ गया है. राजीव सैनी, मुसर्रत, शमशेर अली ने बताया कि इस बार धान की औसत पैदावार में भारी कमी होने की आशंका है. उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर हर बार बालियां आने के समय फसल पर दवाइयों का एक बार छिड़काव किया जाता था लेकिन इस बार दो दफा छिड़काव किया जा चुका है. फिर भी फसल पर खतरा है.
तराई-भाबर में बढ़ी धान की खेती की लागत रुद्रपुर/सितारगंज, हिटी. तराई-भाबर में इस बार अधिक बारिश ने धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है. इस बार धान की अच्छी पैदावार की उम्मीद थी.
धान की कुछ वैरायटी में कम और कुछ में ज्यादा पानी की जरूरत होती है. अगर दाना काला पड़ रहा है तो इसकी जांच देखकर ही हो सकती है.ं खेत से अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था बनानी होगी. पौधे में सुधार को यूरिया डाला जाना चाहिए.
-डॉ. केपी सिंह, प्राध्यापक, पादप रोग विभाग, जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, पंतनगर
समर्थन मूल्य के साथ बोनस की उम्मीद
रुद्रपुर/सितारगंज. धान अगर काला पड़ता है तो आढ़ती इसे खरीदते वक्त कटौती करेंगे. ऐसे में खुले बाजार में धान के रेट कम मिलने की आशंका है. ऐसे में किसान राज्य सरकार की ओर से बोनस दिए जाने की उम्मीद बांधे हुए हैं. उत्पादन लागत बढ़ने के बाद अगर धान के समर्थन मूल्य के साथ बोनस नहीं मिला तो किसान का घाटे में जाना तय है.

हरिद्वार न्यूज़ डेस्क !!!
 

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