
हरियाणा के फरीदाबाद के बाहरी इलाके में स्थित कंवारे गांव में रहने वाले 60 वर्षीय विजेंद्र और नरेंद्र को उस समय बहुत उम्मीदें थीं, जब 21वीं पशुगणना के तहत अधिकारियों की एक टीम उनके गांव आई थी। उनका मानना है कि एक बार गिनती होने के बाद, उनके इलाके में दुधारू पशुओं की संख्या देखकर सरकार या कोई निजी उद्यमी उनके इलाके में डेयरी या दूध संग्रह केंद्र खोलने के लिए मजबूर हो जाएगा। नरेंद्र कहते हैं, "यहां कोई डेयरी नहीं है। अगर यहां कोई डेयरी होती, तो हमें हर सुबह दूध बेचने के लिए फरीदाबाद नहीं जाना पड़ता।" विजेंद्र के पास सिर्फ एक भैंस है, लेकिन नरेंद्र के पास दो गाय और एक भैंस है। विजेंद्र कहते हैं, "मैं 40 साल से पशुपालन कर रहा हूं। 2022 में हमारे गांव में लम्पी स्किन डिजीज ने असर दिखाया था। तब डॉक्टर आए थे। हम समझते हैं कि इस जनगणना से हमें पशुपालन के बारे में और जानकारी मिलेगी।" उन्होंने आगे कहा कि पशुओं के लिए सही दवा की खुराक जैसी जानकारी उनके लिए एक चुनौती है। "हमें उम्मीद है कि इस जनगणना के बाद हमें सही जानकारी मिलेगी।"