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Gorakhpur सामग्री प्रबंधन विभाग में विजिलेंस ने भी पकड़ी थी खरीद में गड़बड़ी, कोविड में एक ही एजेंसी को 24 से ज्यादा सामानों की खरीद को कर दिया गया था अधिकृत
 

कोविड


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक (पीसीएमएम) के रिश्वतखोरी में गिरफ्तारी और उनके घर से 2.64 करोड़ की बरामदगी से सामग्री प्रबंधन विभाग चर्चा में है. पूरे जोन में हर खरीद और आपूर्ति के लिए जिम्मेदार यह विभाग पहले भी भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहा है. मार्च 2023 में भी यहां कार्रवाई हो चुकी है. सामग्री डिपो में भ्रष्टाचार की नींव कोरोना काल में ही पड़ गई थी. उस समय एक विशेष एजेंसी को ही दो दर्जन से ज्यादा सामानों की आपूर्ति के लिए अधिकृत कर दिया गया था.
सूत्रों के अनुसार कोरोना काल में स्टोर डिपो ने रेलवे अस्पतालों को मेडिकल सामग्री और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए जेम पोर्टल पर सिर्फ एक ही फर्म का आवेदन लिया गया था. जबकि विभाग में 12 से अधिक फर्म पंजीकृत थीं. वर्ष 2022 में स्टोर डिपो में जेम पार्टल पर सामानों की खरीदारी और लोकल खरीद में अनियमितता, एक एजेंसी को लाभ पहुंचाने, रेलवे के वाहनों और उपकरणों के नाम पर हेराफेरी की शिकायत सतर्कता विभाग तक पहुंच गई थी.


शिकायतों के आधार पर मार्च 2023 की शुरुआत में रेलवे बोर्ड से सतर्कता विभाग की दो टीमें भण्डार डिपो पहुंची थीं. विजिलेंस की टीम छानबीन के साथ ही कुछ फाइलें अपने साथ भी लें गईं थी. जांच के दौरान कई गड़बड़ी के मामले सामने आए थे. जांच में सामने आया कि एक विशेष एजेंसी को ही दो दर्जन से अधिक सामानों की खरीदारी के लिए पंजीकृत कर दिया गया है. रेलवे अस्पताल में दवा की लोकल खरीद मामले में भी एक कंपनी को विशेष लाभ पहुंचाया गया.
शिकायत के आधार पर विजिलेंस टीम मामले की पड़ताल करने के बाद 23 मार्च को फिर गोरखपुर पहुंच गई. टीम, कार्यालयों संबंधित फाइलों और कम्प्यूटर का हार्ड डिस्क भी ले गई थी. इस मामले में रेलवे बोर्ड ने स्टोर डिपो के उप मुख्य सामग्री प्रबंधक ऋतुराज का सर्दर्न रेलवे स्थानांतरण कर दिया था.
रेल अफसरों ने ठेकेदारों से किया तौबा सीबीआई द्वारा एक पीसीएमएम को गिरफ्तार किए जाने के बाद ऐसे विभागों के अफसर अलर्ट हो गए हैं जहां कांट्रेक्टर और फर्म के कर्मचारियों का आना-जाना होता है. इंजीनियरिंग, वाणिज्य, परिचालन और निर्माण विभाग में सतर्कता कुछ ज्यादा ही बरती जाने लगी हैं. सूत्र बताते हैं कि कुछ अफसरों ने अपने सचिवों को साफ निर्देश दे दिए हैं कि किसी भी कांट्रेक्टर को उनके केबिन में प्रवेश न दें.


गोरखपुर न्यूज़ डेस्क
 

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