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Gorakhpur मेडिकल कॉलेज खुल गए, पढ़ाई-इलाज सुचारु नहीं

Raipur में प्राथमिक विद्यालयों में प्रथम भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ाई जाएगी

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  पूर्वी यूपी में चिकित्सा-शिक्षा की हालत पतली है. मंडल के सातों जिलों में नए-नए मेडिकल कॉलेज तो सरकार खोलती जा रही है. इन कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है. नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) के मानक जुगाड़ से पूरे हो रहे हैं. इन नए-नवेले कॉलेजों में मरीजों का इलाज भी जिला अस्पताल के ही पैटर्न पर हो पा रहा है. ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों के क्लीनिकल विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. सुपर स्पेशियलिटी के विभाग तो सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही संचालित हो पा रहे हैं.

पूर्वी यूपी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज सबसे पुराना है. मेडिकल कॉलेज की स्थापना के 52 वर्ष पूरे होने को हैं. करीब 1500 बेड वाले मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की कमी है. यहां एमबीबीएस की 150 व पीजी के 115 सीटों पर हर साल छात्र प्रवेश लेते हैं. संस्थान में शिक्षकों के 152 पदों के सापेक्ष 128 शिक्षक तैनात हैं. इस वर्ष जून में तीन प्रोफेसर रिटायर हो जाएंगे. इससे तीनों विभाग में पीजी की सीटें फंस जाएंगी. 18 शिक्षकों का संविदा नवीनीकरण फंसा हुआ है.

एम्स में नहीं शुरू हो सका सुपर स्पेशलिटी का विभाग: प्रदेश का दूसरा एम्स वर्ष 2019 में गोरखपुर में शुरू हुआ. पहले 12 विभाग की ओपीडी से एम्स की शुरुआत हुई थी. अब विभागों की संख्या 28 तक पहुंच गई है.

यहां रोजाना ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या  हजार तक पहुंच गई है. ओपीडी में पहुंचे 70 फीसदी मरीज गोरखपुर के बाहर के रहने वाले हैं.  साल में भी एम्स जैसे संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी विभाग संचालित नहीं हो सका है.

एम्स में अब तक  सुपर स्पेशियलिटी विभाग में शिक्षकों के पद सृजित हो चुके हैं. इन पदों पर चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं. यहां एमबीबीएस की 125 और पीजी में 65 सीट पर हर साल प्रवेश होता है. मेडिसिन, सर्जरी, एनेस्थीसिया जैसे विभाग को शिक्षकों की दरकार है.

 

 

गोरखपुर न्यूज़ डेस्क

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