उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों के पंजीकरण की मियाद एक वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष करने का फैसला चिकित्सकों के गले की हड्डी बन गया. शासन द्वारा जारी आदेश में अस्पतालों को यह सुविधा क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अंतर्गत मिलेगी. इसी एक्ट का प्रदेश के चिकित्सक विरोध कर रहे हैं. अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार के इस फैसले का वह स्वागत करें या विरोध. जिले के चिकित्सक इसको लेकर असमंजस भी है.
आईएमए के सचिव डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि रजिस्ट्रेशन की मियाद को पांच वर्ष तक करने का फैसला तो सही था, उसमें अब क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 को शामिल करने का शासन ने प्रयास किया है. इससे मामला पेंचीदा हो गया है.
गोरखपुर नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. खालिद अब्बासी ने साफ तौर पर कहा कि यह क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की बैक डोर एंट्री है. सरकार छोटे अस्पतालों को एक्ट के दायरे में लाना चाह रही है. हालांकि भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ वाई सिंह इससे सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि यह क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट किसी भी सूरत में छोटे अस्पतालों पर लागू नहीं होगा.
लाभार्थियों को दिया गया स्वीकृति पत्र
विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर विकास भवन में शौचालय को लेकर जागरूक करने के लिए बैठक का आयोजन हुआ. इसमें सीडीओ ने पात्र लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र दिया. सीडीओ संजय कुमार मीणा ने कहा कि जिले के ओडीएफ स्टेटस को लगातार बरकरार रखना प्राथमिकता है. इसी क्रम में विभिन्न ब्लाक और ग्राम पंचायतों में कैंप लगाकर पात्र लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया. इस दौरान चरगांवा की रंजना मौर्या, अनीता, मनोज कुमार यादव, जोखई, ऊषा देवी, मंटू वर्मा, अनुपमा को स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया.
गोरखपुर न्यूज़ डेस्क