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Gorakhpur केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ ही अब आईआईटी-आईआईएम की जरूरत

इन कालेजों के लिए शिक्षा विभाग की ओर से संबद्धन और अनुदान देने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम की शुरुआत की गयी है। कालेजों को स्नातक परीक्षा के श्रेणीवार रिजल्ट के आधार पर अनुदान देने की व्यवस्था है। जो कालेज जिस विश्वविद्यालय से टैग होंगे उसी के माध्यम से अनुदान के लिए आवेदन करेंगे। कोर्स की जानकारी, शिक्षकों-कर्मचारियों को बैंक खाते में वेतन भुगतान, उपयोगिता प्रमाण पत्र, अंकेक्षक की आडिट रिपोर्ट समेत अन्य सूचनाएं आनलाइन देनी होंगी।

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  सदियों की सांस्कृतिक विरासत को सहेजे गोरखपुर की पहचान अब शिक्षा के हब के रूप में भी होने लगी है. चिकित्सा, प्रौद्योगिकी और पारंपरिक शिक्षा के कई केंद्र खुलने से पूर्वांचल की ऊंची उड़ान के अरमानों को पंख लगे हैं. हालांकि केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान नहीं होने से यहां की मेधाओं को न सिर्फ पलायन करना पड़ रहा है बल्कि सम्पूर्ण विकास की डगर भी कठिन दिख रही है.

डीडीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग अंतिम बार दिसंबर 2019 में तत्कालीन सांसद शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा में उठाई थी. उनकी मांग के बाद गोरखपुर में इसे लेकर  माहौल बना था लेकिन फिर वह ठंडा पड़ गया. डीडीयू में पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं, पश्चिमी बिहार और नेपाल के भी विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय विवि बनाने की मांग को लेकर कई बार अभियान चलाए गए. सीएम योगी (सांसद रहते हुए) ने भी इसे लेकर सरकारों को पत्र लिखा था.

 दशक पहले फाइन आर्ट्स के पूर्व प्रो. मनोज सिंह ने इसके समर्थन में राप्ती नदी के किनारे रेत शिल्प बनाने से लेकर शहर में भी अभियान चलाया था. हालांकि नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस, यूजीसी से श्रेणी-1 का दर्जा मिलने और अन्य कई मानदंडों पर डीडीयू खरा उतरता है.

 

पिछले 12 वर्षों में स्थापित हुए  विश्वविद्यालय

पिछले 12 वर्षों में गोरखपुर में  विश्वविद्यालय स्थापित हुए हैं. वर्ष 2012 में कॉलेज से मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बना. इसके बाद अगस्त 2021 में आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ, जिसका संचालन शुरू हो गया है. निजी क्षेत्र के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण भी अगस्त 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.

पूर्वांचल की समृद्धि में केंद्रीय विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका निभा सकता है. पिछले कई दशकों से डीडीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग उठ रही है. इसे लेकर अभियान भी चला. केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाए तो पहले बैच के टॉपर के रूप में इससे अच्छा मेरे लिए कुछ नहीं हो सकता. गोरखपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय समय की मांग है.

प्रो. रामदेव शुक्ल, वरिष्ठ साहित्यकार

आईआईटी से किसी भी शहर को शिक्षा के क्षेत्र में पहचान मिलती है. तकनीकी शिक्षा की सबसे बड़ी पढ़ाई के लिए हर विद्यार्थी का सपना होता है आईआईटी में प्रवेश. आईआईटी के छात्रों को न सिर्फ तत्काल प्लेसमेंट बल्कि अच्छा पैकेज भी मिलता है. शिक्षा के हब के रूप में ख्याति के लिए गोरखपुर में आईआईटी जरूरी है. जब भी खुले पूरे स्ट्रेंथ और संसाधन के साथ खुले.

प्रो. शिव शरण दास, पूर्व प्रॉक्टर, डीडीयू

 

गोरखपुर न्यूज़ डेस्क

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