उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क यात्रियों की आवाजाही बढ़ने से पूर्वोत्तर रेलवे का गोरखपुर जंक्शन देश के उन 28 स्टेशनों में शुमार हो गया है जिन्हें एनएसजी (नान सब अर्बन ग्रुप)-1 का दर्जा मिला है. इसको लेकर रेलवे बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर दी है. गोरखपुर जंक्शन पूर्वोत्तर रेलवे के साथ ही उत्तर प्रदेश का भी पहला स्टेशन है जिसे यह गौरव मिला है.
अभी तक गोरखपुर एनएसजी-2 ग्रेड में शामिल था. गोरखपुर की ग्रेडिंग बढ़ जाने से अब यहां सुविधाओं का तो विस्तार होगा ही साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी गोरखपुर की पहचान और मजबूत होगी.
यात्रियों की आवाजाही और सुविधाओं के लिहाज से स्टेशनों की तीन श्रेणियां गैर-उपनगरीय या नॉन सबअर्बन (एनएसजी), उपनगरीय (एसजी) या सबअर्बन और हाल्ट (एचजी) स्टेशन हैं.
गैर-उपनगरीय या नॉन-सबअर्बन स्टेशनों को छह उपसमूहों में बांटा गया है. सालाना 500 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व और दो करोड़ रुपये से अधिक यात्रियों के फुटफॉल वाले स्टेशनों को एनएसजी-1 स्टेशन माना जाता है. जबकि 100-500 करोड़ की आमदनी व 1-2 करोड़ यात्री वाले स्टेशन को एनएसजी-2 श्रेणी में रखा गया है.
एनएसजी 3 स्टेशन वो है जहां 20-100 करोड़ रुपये आमदनी के साथ 50 लाख से एक करोड़ यात्री यात्रा करते हों. इसी तरह एनएसजी-4 (10-20 करोड़ रुपये, 20-50 लाख यात्री), एनएसजी-5 (1-10 करोड़ रुपये, 10-20 लाख यात्री) और एनएसजी 6 (1 करोड़ रुपये, 10 लाख यात्री) का वर्गीकरण किया गया है.
बनारस, छपरा और मऊ को एनएसजी-2 को दर्जा गोरखपुर के साथ ही एनईआर के बनारस, छपरा और मऊ का भी रुतबा बढ़ा है. एनएसजी-3 में शामिल इन तीनों स्टेशनों को एनएसजी-2 में शामिल कर लिया है. ऐसे में अब एनईआर में एनएसजी-2 के चार स्टेशन हो गए हैं जबकि इसके पहले तक महज लखनऊ और गोरखपुर ही था.
औसतन रोजाना 60 हजार यात्री करते हैं यात्रा
गोरखपुर जंक्शन से यूं तो रोजाना 50 से 55 हजार यात्री यात्रा करते हैं लेकिन गर्मी और त्योहार के दिनों में ये संख्या 90 हजार से एक लाख तक पहुंच जाती है. इस लिहाज से साल में यात्रियों की संख्या दो करोड़ से ऊपर पहुंच जाती है.
गोरखपुर न्यूज़ डेस्क