बिहार न्यूज़ डेस्क शहर के राजेन्द्र बस पड़ाव की करीब 85 कह्वा जमीन की अवैध तरीके से की गई जमाबंदी के आरोपित सदर सीओ गुलाम सरवर ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कांड के अनुसंधानक से केस डायरी की मांग करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तिथि 08 अक्टूबर निर्धारित की है. बताया जाता है कि सीओ ने को अपने अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार तिवारी के माध्यम से कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीओ के अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि मामले में वे यानि सीओ निर्दोष हैं. उनके गोपालगंज में आने से पहले ही मामले में जमाबंदी कायम कर दी गई थी. उधर, लोग अभियोजक देववंश गिरि उ़र्फ भानू गिरि ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कांड के आईओ से केस डायरी मांगने का आग्रह किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. मालूम हो कि कुचायकोट थाने के सासामुसा निवासी अजय दूबे ने जाली कागजात बनाकर जमीन को वर्ष 1980 में रजिस्ट्री कराने का दावा करते हुए दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया था.
आवेदन किए जाने के बाद अंचल कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से दाखिल खारिज कर भी दिया गया. साथ ही जाली कागजात के आधार पर जमाबंदी कराने वाले अजय दूबे ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर बस स्टैंड की जमीन को खाली कराने की मांग तक कर दी थी. मामला तूल पकड़ने पर डीएम मो. मकसूद आलम ने सदर एसडीओ से पूरे मामले की जांच कराई.
जांच में पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद फर्जी तरीके से जमीन की जमाबंदी करने के आरोप में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दूबे ने नगर थाना में बस स्टैंड की जमीन पर अपना दावा करने वाले अजय दुबे के अलावा सदर सीओ गुलाम सरवर, प्रभारी राजस्व अधिकारी जटाशंकर प्रसाद व राजस्व कर्मचारी दिनेश मिश्र पर प्राथमिकी दर्ज करा दी.
किसानों को मशरूम उत्पादन के बताए गए गुर
सिपाया स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, गोपालगंज में मशरूम उत्पादन का पांच दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हो गया. कृषि विज्ञान केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक राणा ने प्रशिक्षण का संचालन किया.
उन्होंने मशरूम के विभिन्न प्रभेदों की जानकारी किसानों से साझा की. बताया कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. मशरूम उत्पादन कर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं. इसकी खेती के लिए ज़मीन की ज़रूरत नहीं होती है. किसान एक छोटी सी झोपड़ी में इसकी खेती कर लाखों की आमदनी कर सकते हैं. इस प्रशिक्षण में किसानों को स्पॉन (मशरूम का बीज) बनाने के तरीके बताए गए. इसके अलावे खाद तैयार करने और मशरूम में लगने वाली बीमारियों व कीटों की पहचान करने की जानकारी दी गई.
मशरूम के बाजार के बारे में भी बताया गया. प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रशिक्षुओं के बीच प्रमाण पत्र वितरण किया गया. मौके पर वैज्ञानिक डॉ. अनीता गौतम एवं फसल उत्पादन विशेषज्ञ श्रीप्रिया दास भी उपस्थित थीं.
गोपालगंज न्यूज़ डेस्क