Gopalganj विपरीत मौसम से मक्का की फसल में कम बालियां, औसत की कम बारिश से मक्के की खेती हो रही बर्बाद

बिहार न्यूज़ डेस्क जिले के पश्चिमांचल के मक्का उत्पादक किसान मक्का के पौधे में कम बालियां व दाने लगने से हताश हैं. इस वर्ष औसत की आधी बारिश व लगातार विपरीत मौसम से फसल पर प्रभाव पड़ा है.
मौसम की बेरुखी से किसानों ने पिछले वर्ष की तुलना में आधे से भी कम रकबे में मक्के की खेती की है. प्रखंड के तिवारी चकिया, रामनगर, राजघाट,दुबवलिया, पड़ौली, खेदुआपुर, डूमर नरेंद्र, मिश्रौली आदि गांवों में मक्के की फसल की स्थिति इस वर्ष ठीक नहीं हैं. पौधे पूरी तरह विकसित नहीं हुए हैं. डंठल भी पतले हैं. पौधे में एक से बालियां ही दिख रही हैं. बालियों में दाने भी कम दिख रहे हैं. किसान राम विलास तिवारी व राजेश कुमार सिंह आदि ने बताया कि बारिश नहीं होने तथा तेज धूप होने से इस बार खरीफ मक्के की फसल से पूंजी निकलना भी मुश्किल दिख रहा है. पौधे में में दाने काफी कम लगे हैं.
किसान राम नगीना भगत ने बताया कि विपरित मौसम में जो भी बालियां लगी हैं,उसे जंगली जानवरों से बचाना मुश्किल है. जंगली सूअर,नीलगाय और बंदर और कुत्ते फसल को बर्बाद कर रहे हैं. किसान चंद्रशेखर पांडेय ने बताया कि जटिल प्रक्रिया व जागरूकता के अभाव में मक्का लगाने वाले किसान डीजल अनुदान के लिए आवेदन नहीं कर पाए हैं.
किसानों के अनुसार पहले जहां करीब दो हजार हेक्टेयर खेत में मक्के की खेती की जाती थी. लेकिन,इस वर्ष करीब एक हजार हेक्टेयर में ही इसकी खेती हुई है. किसान सलाहकार नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया कि मक्के की फसल नगदी फसल में आती है. इससे काफी अच्छी आमदनी भी होती है . लेकिन, इस वर्ष पर्याप्त बारिश नहीं होने से किसान मायूस हैं.
एक एकड़ में 15 हजार रुपए हो रहे
खर्च किसानों ने बताया कि एक एकड़ मक्के की खेती में जुताई से लेकर खाद-बीज,सिंचाई,निकौनी,कटनी व दौनी में करीब 15 हजार रुपए की लागत आती है.
इस वर्ष बारिश कम होने से कई बार सिंचाई करनी पड़ी है. इससे लागत खर्च और बढ़ गया है. फसलों की स्थिति देखकर पूंजी भी निकलने की संभावना नहीं दिख रही है.
गोपालगंज न्यूज़ डेस्क