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Gaziabad हाईकोर्ट से राहत, एसडीओ से एक्सईएन बनेंगे संजय

चौंकाने वाला यौन शोषण केस! बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला, पीड़िता की गवाही ने पलट दिया मामला

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  बिजली के सामान की सप्लाई करने वाली गुजरात की एक कंपनी से हवाई सेवा के लाभ लेने के आरोप में संतकबीरनगर के पूर्व एक्सईएन संजय कुमार सिंह पर कार्रवाई की गई थी. विभागीय जांच में उन्हें कदाचार का दोषी पाते हुए एक्सईएन से पदावनत कर एसडीओ बना दिया था. इसके बाद संजय ने हाईकोर्ट की शरण ली. प्रयागराज हाईकोर्ट ने विभागीय दंड को अवैध करार देते हुए उन्हें फिर से एक्सईएन के पद पर बहाली करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि जांच के दौरान संजय सिंह बस्ती ऑफिस से संबद्ध कर दिए गए थे.

हाईकोर्ट प्रयागराज ने आदेश में कहा है कि कर्मचारी को बड़ा दंड देने से पूर्व पूरी जांच प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. सबूतों के आधार पर आरोप साबित किए बगैर पदावनति जैसा बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अधिशासी अभियंता संजय कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बस्ती में कार्यरत अधिशासी अभियंता को प्रबंध निदेशक द्वारा दो इंक्रीमेंट रोकने व परिनिंदा करने और चेयरमैन द्वारा बिना जांच प्रक्रिया अपनाए पदानवत कर सहायक अभियंता बनाने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. याची को तत्काल पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि विभाग जांच करता है तो बकाया वेतन उसके परिणाम पर निर्भर करेगा और यदि जांच नहीं करता तो याची बकाया वेतन पाने का हकदार होगा. गौरतलब है कि संजय कुमार सिंह वर्तमान में हरदोई में तैनात हैं.

ऑपरेशन में एक आंख चली गई

 

मोतियाबिंद का ऑपरेशन बुजुर्ग को महंगा पड़ गया. जिस उम्मीद के साथ बुजुर्ग ने आंख खुलवाया कि वह वृद्धावस्था में दुनिया देखेगा, लेकिन हुआ कुछ उल्टा. ऑपरेशन के बाद आंख में इंफेक्शन फैलने से बुजुर्ग की एक आंख चली गई. दूसरी आंख बचाने के लिए संक्रमित आंख को निकाल देना पड़ा. अब डॉक्टर मरीज पर लापरवाही बरतने का आरोप मढ़ रहे हैं.

बताया गया कि कुदरहा ब्लॉक के बैडारी गांव के 65 वर्षीय मरीज गांव के ही कुछ लोगों के कहने पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आवास विकास स्थित ग्लैक्सी नेत्र अस्पताल पहुंचे थे. यहां आयुष्मान भारत योजना के तहत ऑपरेशन कराया गया. फॉलोअप के लिए जब मरीज दोबारा अस्पताल आया तो आंख में मवाद बन गया था. यह देखकर अस्पताल प्रबंधन घबरा गया और चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए लखनऊ भेज दिया. वहां मरीज भटका, लेकिन इलाज नहीं हो सका. लेकिन, तब तक आंख खराब हो चुकी थी. दूसरी आंख बचाने के लिए चिकित्सक ने संक्रमित आंख निकाल दिया और मरीज को सांत्वना दिया कि इसके बदले ऑर्टीफिशियल आंख लगा दी जाएगी. आंख गंवा चुके बुजुर्ग के पास जांच टीम पहुंची. टीम का कहना है कि बुजुर्ग की ओर से कोई शिकायत नहीं है. इस बाबत डिप्टी सीएमओ डॉ. एसबी सिंह और नेत्र सर्जन डॉ. सारिब सुहेल का कहना है कि आंख में लगातार इंफेक्शन फैल रहा था.

मवाद होने से सूजन आ गया था. यदि आंख नहीं निकालते तो दूसरी आंख भी खराब हो जाती. फिलहाल दूसरे आंख में रोशनी है. इस बाबत सीएमओ डॉ. आरएस दूबे ने बताया कि निष्पक्ष जांच हो रही है. अस्पताल का निरीक्षण प्रमुख सचिव के निर्देश किया गया. जांच रिपोर्ट आने पर ही आगे की कार्रवाई तय होगी.

टांडा पहुंची टीम, छान रहे गांव

जांच टीम में शामिल डिप्टी सीएमओ डॉ. एसबी सिंह व नेत्र सर्जन डॉ. सारिब सुहेल दूसरे दिन आंबेडकरनगर जिले के टांडा पहुंचे. जिन मरीजों के आंख में इंफेक्शन की शिकायत है. सूची के जरिये गांव-गांव छानते रहे. डिप्टी सीएमओ ने बताया कि जांच पूरी होने में अभी वक्त लगेगा, चूंकि मरीज दूर-दराज के हैं.

 

गाजियाबाद न्यूज़ डेस्क

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