
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क लोनी में एक जनसुविधा केंद्र पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आय, जाति प्रमाणपत्र बनाने का खुलासा हुआ है . मामले में जनसुविधा केंद्र संचालक समेत 28 लोगों के खिलाफ प्रशासन की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया.
लोनी के एसडीएम राजेंद्र सिंह ने बताया कि आय और जाति प्रमाणपत्र समेत अन्य दस्तावेज बनावने के लिए लगातार आवेदन आते हैं. हाल ही में उनके पास आए आवेदनों की प्रारंभिक जांच में संदेह हुआ. इसके बाद इन आवेदनों की विस्तृत जांच की गई. इसके आधार पर उन्होंने लेखपाल अय्यूब खां निवासी सजय नगर को मामले में पुलिस कार्रवाई के निर्देश दिए. लेखपाल ने अपनी जांच में बताया कि प्राप्त आवेदनों के कागजातों की जांच की गई. आवेदकों द्वारा अपने आधार कार्ड, बिजली बिल, पार्षद पत्र आदि आवेदन किए गए थे. जांच में सभी फर्जी लगे. उन्होंने आवेदक ताज मोहम्मद से फोन पर बात की तो उसने बताया कि केवल आधार कार्ड दिया गया था. अन्य कोई कागज नहीं दिए गए. जन सुविधा केंद्र संचालक सुऐब (सोनू खान) और उसके साथियों द्वारा कूटरचित तैयार कर लगाए. आधार कार्ड में पता भी जनसेवा केंद्र संचालक द्वारा कूट रचित करके बदला गया है. प्रशासन की ओर से जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है उनमें सुऐब, सना, निशार, इंतजार, अकिल, वसीम अकरम, सलीम, मोहद फारूक, अजरुद्दीन, नौशाद, शाने आलम, बाबुद्दीन, रईस अहमद, मौ आलम, शाजिद, रुखक्षार, मोहम्मद इब्राहिम, अफरोज, मौमीन, अतीक अहमद, ताज मौहम्मद, इस्लाम, मांगा, इस्लाम, मोहम्मद जान, मो इमरान, वसीम, जाहिद शामिल हैं.
गाजियाबाद में कई बार छापेमारी की गई गाजियाबाद सदर तहसील में भी इस तरह की कई मामले प्रकाश में आए हैं. पिछले साल राकेश मार्ग और संजय नगर स्थित कई जनसुविधा केदो पर शिकायत मिलने के बाद उन्हें बंद कराया गया था. यह लोग प्रमाण पत्र आवेदन के नाम पर आवेदकों से निर्धारित शुल्क से कई गुना पैसा वसूल रहे थे.
अधिकांश आवेदन में एक पता
जांच के दौरान सामने आया कि अधिकाश आवेदनो में एक ही पता अंकित किया गया है. कुछ आवेदन पत्रों में मोबाइल नंबर भी आवेदकों का ना होकर अन्य व्यक्तियों का फर्जी रूप से दिया गया था.
प्रशासन की शिकायत पर 28 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अन्य आरोपियों के बारे में पता चल सकेगा.
-सूर्यबली मोर्य, एसीपी लोनी
पांच से दस हजार रुपये तक ले रहे थे
सूत्रों के अनुसार फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आय प्रमाण पत्र बनवाने में पांच से 10 हजार रुपये तक लिए जा रहे थे. जितनी कम आय का प्रमाण पत्र बनवाया जाता है,उतनी ज्यादा रकम ली जाती. आरोप है कि वसूली के इस खेल में जन सुविधा केंद्र के संचालकों की सांठगांठ उप जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात कुछ निजी कर्मचारी से भी रहती है.
गाजियाबाद न्यूज़ डेस्क