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Gaziabad दवा के लिए भटक रहे 15 हजार टीबी रोगियों से संक्रमण का खतरा

टीबी

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  जिला क्षय रोग केंद्र में रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं. गंभीर बात यह है कि मरीजों को चार से पांच दिन की दवा दी जा रही. उन्हें हर महीने सात-आठ बार दवा लेने आना पड़ रहा. एमएमजी अस्पताल के पीछे बने केंद्र में 15 हजार मरीजों की आवाजाही से अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा है.

कोरोना काल के बाद से टीबी की दवाओं की आपूर्ति में कमी आई है. पहले मरीजों को घर पर दवा पहुंचाई जाती थी, अब टीबी यूनिट से केवल चार या पांच दिन की मिल रही है. दो साल पहले एक बार में पूरे महीने का कोर्स दे दिया जाता था. उपचार शुरू होने से 58 दिन तक एक मरीज से संक्रमण फैलने की आशंका रहती है, इसलिए उसे घर में रहने और मास्क लगाने की सलाह दी जाती है. अब दवा की कमी से महीने में सात-आठ बार बुलाया जा रहा. इससे संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा एमएमजी अस्पताल में है. जिला क्षय रोग केंद्र अस्पताल के पीछे बना है. टीबी मरीज मुख्य गेट के बाद परिसर से होते हुए केंद्र तक पहुंचते हैं. कुछ मरीज तो ओपीडी कॉरिडोर से होकर निकलते हैं. ऐसे में दूसरे मरीजों में संक्रमण फैल सकता है. जिले का मुख्य केंद्र होने की वजह से दूसरी टीबी यूनिट से भी मरीज दवा लेने के लिए यहां आते हैं.

छींकने और खांसने से फैलता है टीबी संक्रमण

टीबी मरीज एक बार खांसने और छींकने पर लाखों की संख्या में वायरस हवा में छोड़ता है. टीबी का वायरस तेज गर्मी और सर्दी नहीं मरता और कई साल तक जमीन पर या किसी भी वस्तु की सतह पर जिंदा रहता है. ऐसे में यदि कोई मरीज दवा लेने आने और जाने के दौरान रास्ते में खांसता या छींकता है तो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाला व्यक्ति संक्रमित हो सकता हैं. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है.

मरीजों को 16 यूनिटों से बांटी जा रही दवा

जिला टीबी अस्पताल समेत 16 यूनिटों पर स्पुटम जांच और दवा वितरण की जाती है. जिले में 6 सीबी नेट और 11 ट्रूनेट मशीनें हैं. ट्रूनेट और सीबीनेट से जांच की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे का समय लगता है और माइक्रोस्कॉपी से 24 घंटे में हो जाती है. इन यूनिटों से आसपास के मरीजों को दवा दी जाती है. लेकिन जब टीबी यूनिट पर दवा खत्म हो जाती है तो मरीजों को जिला केंद्र आना पड़ता है.

खपत के मुताबिक आपूर्ति न होने से चार से पांच दिन की दवा दी जा रही. इसका मकसद सभी मरीजों को दवा देना है. आपूर्ति नियमित का प्रयास किया जा रहा. -डॉ. अनिल यादव, जिला क्षय रोग अधिकारी, गाजियाबाद

 

 

गाजियाबाद न्यूज़ डेस्क

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