
बिहार न्यूज़ डेस्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (डीसीई) में सी-डैक, कोलकाता के सौजन्य से थ्री डी प्रिंटिंग और एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग के लिए फिनिशिंग स्कूल की स्थापना होगी. डीसीई में पहुंची सी-डैक की टीम के साथ इस पर सहमति बनी.
डीसीई के प्राचार्य प्रो. संदीप तिवारी ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए बताया कि इस पहल के तहत डीसीई में एक उन्नत प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी, जो स्टार्टअप्स, छोटे और मध्यम उद्योगों (एसएमई) और बड़े उद्योगों को प्रोटोटाइप बनाने, तकनीकी दस्तावेज तैयार करने, लागत विश्लेषण और सामग्री विनिर्देशों में सहायता प्रदान करेगी. कहा कि यह फिनिशिंग स्कूल डीसीई के छात्रों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों के लिए वरदान साबित होगा. हमारे छात्र इस कार्यक्रम के माध्यम से अत्याधुनिक थ्री डी प्रिंटिंग तकनीकों में दक्षता प्राप्त करेंगे, जिससे उन्हें स्टार्टअप्स और अन्य उद्योगों में अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी. यह पहल डीसीई की तकनीकी क्षेत्र में प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगी.
सी-डैक, कोलकाता के निदेशक डॉ. एचएस मूर्ति ने कहा कि यह कार्यक्रम नई पीढ़ी के इंजीनियरों को अत्याधुनिक कौशल से सुसज्जित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. यह छात्रों को स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करेगा और नवाचार को बढ़ावा देगा. मुख्य अन्वेषक असित कुमार सिंह ने इस कार्यक्रम के उद्योग और शिक्षा के बीच तालमेल बढ़ाने में योगदान को रेखांकित किया.
स्पर्धा से छात्र-छात्राओं में बढ़ती है जागृति कुलपति
छात्रों के बीच स्पर्धा व प्रतियोगिता लगातार होनी चाहिए. बच्चे सफलता पाने के लिए लगन के साथ कड़ी मेहनत करते हैं. इससे न केवल उनमें जागृति आती है, बल्कि उनके शैक्षणिक स्तर में भी इजाफा होता है. संस्कृत विवि में दो दिवसीय शास्त्रत्त्ीय स्पर्धा का उदघाटन करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय ने उक्त बातें कही.
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस शास्त्रत्त्ीय प्रतियोगिता में बिहार-झारखंड के प्रतिभागी छात्र शामिल हैं. समापन 29 को होगा. कुलपति प्रो. पांडेय ने प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि विभिन्न विधाओं में आयोजित स्पर्धा में सभी अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास करें. पीआरओ निशिकांत ने बताया कि डीन डॉ. शिवलोचन झा के नेतृत्व में डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्रत्त्ी एवं डॉ. अवधेश श्रोत्रीय ने कार्यक्रम का सफल संयोजन किया.
उद्घाटन सत्र के बाद अमरकोष कंठपाठ, अष्टाध्यायी कंठपाठ, धातुरूप कंठपाठ, भगवद्गीता कंठपाठ, सुभाषित कंठपाठ, रामायण कंठपाठ, उपनिषद कंठपाठ, अक्षरश्लोकी समेत शास्त्रत्त्ीय स्फूर्ति स्पर्धा का आयोजन किया गया. करीब पांच दर्जन से अधिक बच्चों ने पहले दिन की स्पर्धाओं में भाग लिया.
निर्णायक मंडल में प्रो. दयानाथ झा, प्रो. दिलीप कुमार झा, प्रो. पुरेन्द्र वारिक, प्रो. विनय कुमार मिश्र, डॉ. दीनानाथ साह, डॉ. घनश्याम मिश्र, डॉ. संजीत कुमार झा, डॉ. छविलाल न्योपाने, डॉ. शिवानंद शुक्ल, डॉ. साधना शर्मा, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. संजीत कुमार झा, डॉ. ध्रुव मिश्र, डॉ. ममता स्नेही, डॉ. संतोष कुमार तिवारी, डॉ. देवहुति कुमारी थे.
गया न्यूज़ डेस्क