उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क एक वेबसाइट के जरिए सांस्कृतिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी देने वाले ब्लागर ने रामकोट को सांई नगर के रूप में स्थापित करने की कोशिश पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने आपत्ति दर्ज की है. इस ब्लागर ने गूगल मैप को कॉपी कर अयोध्या को दो भागों में बांट दिया. एक भाग को तुलसी नगर तो दूसरे भाग को सांई नगर के रूप में दर्शाया है. इस पर श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्ता ने कड़ी आपत्ति जताई है.
उन्होंने इस आपत्तिजनक वेबसाइट की जानकारी देते हुए बताया कि सम्बन्धित ब्लागर ने सांई नगर व तुलसी नगर को 2024 में देखा जाने वाला स्थान बताया है. इस ब्लागर की रिपोर्ट जो रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के पहले लिखी गयी है में बताया गया है कि शहीद मार्ग पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली एक छोटी सड़क है जो कनक भवन रोड से जुड़ती है. यह सड़क इलाके को दो भागों में विभाजित करती है, तुलसी नगर (उत्तर की ओर) और साईं नगर (दक्षिण की ओर). इन दोनों इलाकों में अयोध्या के सबसे पवित्र मंदिर हैं जिनमें श्री रामजन्मभूमि मंदिर भी शामिल है.
उन्होंने कहा कि वेबसाइट की सूचनाएं पूरी तरह से भ्रामक है जबकि वास्तविकता में यहां सरकारी अभिलेख अथवा सामान्य बोलचाल में भी सांई नगर का उल्लेख नहीं है.
एक दशक पहले सरस्वती भण्डारण ट्रस्ट, हैदराबाद ने स्थापित किया सांई मंदिर
तीर्थ क्षेत्र कार्यालय प्रभारी गुप्ता बताते हैं कि पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर राजघाट उद्यान के निकट सांई मंदिर की स्थापना एक दशक पहले सरस्वती भण्डारण ट्रस्ट, हैदराबाद आंध्रप्रदेश की ओर से स्थापित किया गया था. यह मंदिर कौशल्या घाट मोहल्ले के अन्तर्गत है. फिर भी ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि साईं नगर को बहुत बड़ा प्राचीन केंद्र है. उन्होंने बताया कि नगरपालिका अथवा नगर निगम के अभिलेखों में सांई नगर कहीं दर्ज नहीं है. यह बाबा अभिराम दास वार्ड है . उन्होंने कहा कि राजस्व अभिलेखों में कोट रामचंद्र राजस्व गांव के रूप में दर्ज है. रामजन्म भूमि के सिविल वाद में अवर न्यायालय से जिला सत्र न्यायालय व हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इसके दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध है. फिर भी मनगढ़ंत रीति से शहर के दो हिस्से निर्धारित कर साईं नगर को सांस्कृतिक स्थल के रूप में प्रचारित करना ़गलत है. इसके खिलाफ उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र भेजा जाएगा.
रामकोट के साथ जुड़ी है आस्था
प्रकाश गुप्ता ने कहा कि रामकोट का तात्पर्य है कि राम जी का किला. इस किले की वर्तमान भौगोलिक परिधि करीब चार किमी. की है. इस किले के मध्य में ही श्रीरामजन्म भूमि है. इसके पूर्वी द्वार पर हनुमानगढ़ी है. किले के पश्चिम में सरयू नदी प्रवाहित है. दक्षिण में कुबेर नवरत्न टीला व उत्तर में मत्त गजेन्द्र स्थित है. फिर भी सोशल मीडिया में रामकोट के स्थान पर सांई नगर को स्थापित करने का खेल शुरू हो गया है. यह गलत है.
फैजाबाद न्यूज़ डेस्क