Durg जिले में फाइलेरिया मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा, सतही चल रहा है विभाग का मैदानी काम

छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, इस बीमारी की वजह स्किन को बाहरी बीमारियों से बचाने वाला लिम्पैथिक सिस्टम को खराब हा़े जाता है. प्रभावित होने वाले अंगों में बैक्टीरिया अटैक होने से सूजन आने लगती है. समय रहते जांच और दवाएं नहीं खाने से यह रोग लाइलाज हो जाता है. रोगी के पैरों का वजन उनकी शरीर से तिगुना हो जाता है.
संक्रमण के दिखने में 5 से 15 वर्ष तक का लगता है समय
फाइलेरिया से बचाव का एक मात्र उपाय साल में दो बार उसकी दवा खाना ही है. विशेषज्ञों ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है. लेकिन संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आते हैं.
बीमारी से ग्रसित लोग मानसिक परेशानी के हो जाते हैं शिकार
इस बीमारी की चपेट में आने से पीड़ित के प्रभावित अंग का आकार काफी बड़ा हो जाता है. इस दौरान प्रभावित हिस्से की ठीक से सफाई नहीं की जाए तो स्किन काफी खराब हो जाती है. सार्वजनिक जगहों पर उसे हीन भावना से देखा जाता है. ऐसे में रोगी मानसिक रूप से काफी परेशान हो जाता है. ऐसे में इससे बचने हर साल दो बार दवा खाना ही बचाव का उपाय है.
कृमि के विकसित होने पर दवाएं असर नहीं कर करती
डॉक्टरों का कहना है कि फाइलेरिया के लक्षण दिखते ही इसकी पहचान कर दवाएं लेना बेहद जरूरी है. यदि शुरआती दौर में दवा नहीं ली गई तो इसका इलाज असंभव हो जाता है. इसी वजह कृमि खुद को विकसित करने के बाद अपनी संख्या बढ़ाने लगता है. देर से ट्रीटमेंट शुरू करने पर दवाएं ज्यादा असर नहीं कर पाती हैं.
पैर के अलावा संक्रमण शरीर दूसरे हिस्सों में भी हो जाता है
फाइलेरिया रोग से ग्रसित मरीज के अंग के बढ़ने की कोई सीमा नहीं होती है. इस रोग की चपेट में आने वाला व्यक्ति इसकी दवाएं न लें तो उनके पैर हाथी के पैर से भी मोटे हो जाते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक फाइलेरिया ग्रसित मरीज का पैर ही नहीं दूसरा अंग भी संक्रमित हो सकता है. जैसे पुरुषों में उनके अंडकोश और महिलाओं में स्तन भी चपेट में आ सकते हैं.
दुर्ग न्यूज़ डेस्क !!!